नॉएडा जाना किसी भी सत्ताधारी नेता के लिए महंगा पड़ता था. वह ज़माना अब लद गया.
उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2019 लोकसभा चुनावों के ठीक पहले नॉएडा का दौरा कर यह साबित किया कि नॉएडा से नेताओं को अब डरने की ज़रुरत नहीं.
ऐसा माना जाता रहा है कि जो भी मुख्यमंत्री दिल्ली से सटे शहर नॉएडा आता है, उसकी कुर्सी खतरे में पड़ जाती है.
ज्ञात हो कि 2018 में योगी आदित्यनाथ नॉएडा आए थे जिसके उपरांत गोरखपुर में हुए उपचुनाव में उनकी फजीहत हो गई थी.
हुआ यूं था कि आदित्यनाथ तब पहली बार नॉएडा आए थे और उनके नॉएडा आगमन के कुछ ही महीनों बाद उनके गढ़ गोरखपुर में उपचुनाव हुए.
उस उपचुनाव में उनकी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की हार हुई थी. उस सीट को आदित्यनाथ सांसद रहने के दौरान कभी नहीं हारे. लेकिन, मुख्यमंत्री रहते हुए उसे नहीं बचा सके.
फिर, उनकी पार्टी बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की चर्चित कैराना लोकसभा सीट भी गंवा दी थी.
विदेश में पढ़े-लिखे व इंजीनियरिंग कर चुके समाजवादी पार्टी के लोकप्रिय नेता अखिलेश यादव भी अपने मुख्यमंत्री काल में पूरे पांच साल के दौरान कभी भी नॉएडा नहीं आए.
अखिलेश ने नॉएडा के विभिन्न प्रोजेक्ट का उद्घाटन लखनऊ से ही करना उचित समझा. उनका मानना था कि मायावती ने मुख्यमंत्री रहते हुए 2011 में नॉएडा का चक्कर लगाया था जिसके चक्कर में आकर ही बहुजन समाजवादी पार्टी नेता ने अपनी कुर्सी अगले साल गंवाई थी.
इन सभी मिथक के आलोक में देखें तो 2019 लोकसभा चुनावों में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की कुल 80 में से 62 सीटें जीत कर, नॉएडा आने और सत्ताहीन होने का मिथक तोड़ दिया.
गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ ने इस साल 25 जनवरी को नॉएडा का दौरा किया था जब वहां मेट्रो ट्रेन का उद्घाटन हुआ था.