खिलाड़ियों और स्टेडियम को तो लॉकडाउन 4 में प्रवेश करने के साथ ही कई राहत दी गई है, लेकिन गंभीर विषय यह है कि कुश्ती, कबड्डी, मुक्केबाजी जैसे खेलों का अब क्या होगा?
- कई शहरों के खिलाड़ी प्रैक्टिस को लेकर स्टेडियम खोलने की मांग कर रहे थे.
- केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस की वजह से चल रहे लॉकडाउन (Lockdown Extended till May 31) को 31 मई तक बढ़ा दिया है लेकिन खिलाड़ियों को बड़ी राहत मिली है.
- दरअसल लॉकडाउन के चौथे चरण के ऐलान के साथ ही खिलाड़ियों को प्रैक्टिस करने की इजाजत मिल गई है.
- लगभग 2 महीने से खिलाड़ी घर में बैठे थे.
- सरकार के इस कदम से अब जल्द ही क्रिकेट, फुटबॉल और अन्य खेलों के शुरू होने की आशा की किरण जागी है.
- हालांकि दर्शकों को स्टेडियम में जाने की इजाजत नहीं होगी.
- इस समय पूरी दुनिया में खेल की लगभग सभी प्रतियोगिताएं या तो स्थगित कर दी गई हैं या उन्हें रद्द कर दिया गया है.
- अब कई देश धीरे-धीरे अपने यहां खेलों को फिर से शुरू करने पर विचार कर रहे हैं.
क्रिकेट में गेंदबाजों के मुंह की लार के गेंद पर इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगाने की सिफारिश की गई है ताकि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचा जा सके. लेकिन, कुश्ती, कबड्डी और मुक्केबाजी जैसे खेलों का भविष्य क्या होगा जहां खिलाड़ियों के बीच मुकाबलों के दौरान शारीरिक संपर्क होता है?
कोरोना के समय में सभी से सामाजिक दूरी का पालन करने के लिए कहा जा रहा है, और यह बात खिलाड़ियों पर भी लागू होती है.
जर्मनी में बुंदेसलीगा फुटबॉल लीग शुरू हो गई लेकिन वहां भी खिलाड़ियों से कहा गया है कि वे हाथ न मिलाएं, जश्न मनाने में एक दूसरे के ज्यादा नजदीक नहीं जाएं, मैदान में सभी अधिकारी मास्क पहनें और स्टेडियम में दर्शकों का प्रवेश प्रतिबंधित रहे.
गेंदबाज नहीं लगा पाएंगे थूक
क्रिकेट में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की तकनीकी समिति ने गेंदबाजों के गेंद पर मुंह की लार के इस्तेमाल पर रोक लगाने की सिफारिश की है.
कोरोना वायरस के कारण गेंदबाजों के गेंद पर मुंह की लार के इस्तेमाल पर रोक लगाने को लेकर वैश्विक बहस जारी है, और इस दौरान समिति ने लार के इस्तेमाल पर रोक लगाने की सिफारिश की है.
कोरोना वायरस मुंह के सहारे फैलता है इसलिए सभी लोगों को मास्क लगाने की हिदायत दी गई है.
गेंदबाज गेंद चमकाने के लिए मुंह की लार या पसीने का इस्तेमाल करते थे लेकिन अब गेंदबाज लार का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे.
सवाल कुश्ती, कबड्डी और मुक्केबाजी का
अब सवाल कुश्ती, कबड्डी और मुक्केबाजी जैसे खेलों पर उठता है जहां खिलाड़ी एक दूसरे से शारीरिक रूप से टकराते हैं.
कुश्ती यानी मल्लविद्या में दो पहलवान एक दूसरे से टकराते हैं और एक दूसरे को पकड़कर मात देने की कोशिश करते हैं.
कबड्डी में एक खिलाड़ी को पकड़ने के लिए विपक्षी टीम के लगभग सभी खिलाड़ी टूट पड़ते हैं जबकि मुक्केबाजी में दो मुक्केबाज एक-दूसरे पर मुक्के बरसाते हैं.
ये ऐसे खेल हैं जहां शारीरिक संपर्क होना ही है और कोरोना जैसे हालात में ऐसे खेलों में सामाजिक दूरी का पालन नहीं हो सकता.
कोरोना के संकट के अभी दूर-दूर तक समाप्त होने की संभावना नहीं दिखाई देती है, ऐसे में इन खेलों के महासंघों को सोचना होगा कि जब इन खेलों की शुरुआत हो तो इनके नियमों में क्या परिवर्तन किया जाए ताकि खिलाड़ियों की सुरक्षा बनी रहे.