जीएम सरसों को बिहार में इंट्री नहीं मिलेगी. इस संबंध में बिहार मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, “हम आर्गेनिक फार्मिंग को प्रमोट कर रहे हैं. जीएम खेती की यहां कोई जरूरत नहीं है.”
आशा (एलायंस फॉर सस्टेनेबल एंड होलिस्टिक एग्रीकल्चर) संगठन के प्रतिनिधियों से मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने यह आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि जीएम मुद्दे पर वे अग्रणी भूमिका निभाने को तैयार हैं.
नीतीश कुमार ने कहा वे प्रधानमंत्री को भी अपने तर्क और विचार से अवगत कराने के लिए पत्र लिख रहे हैं.
उन्होंने कहा कि बीटी कॉटन के अनुभव ने हमें बताया है कि कैसे जीएम टेक्नोलॉजी से हमें नुकसान हुआ है. फिर कैसे यही तकनीक सरसों के मामले में इस्तेमाल में लाई जा सकती है?
नीतीश कुमार ने कहा बिहार के किसान खुद अपनी तकनीक से प्राकृतिक रूप से उम्दा आलू, बैगन, धान और सरसों का उत्पादन कर रहे हैं. हमें किसी भी ऐसी विदेशी तकनीक की जरूरत नहीं है जिससे पारंपरिक खेती और पर्यावरण दोनों को उलटे नुकसान पहुंचे.
आशा और किसान स्वराज नेटवर्क के प्रतिनिधियों को बिहार मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि वे सिर्फ सरसों ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण जीएम तकनीक के इस्तेमाल के खिलाफ हैं.
पारंपरिक किस्मों की तुलना में जीएम फसल
इन दिनों कृषि क्षेत्र में जीएम फसलों की चर्चा गर्म है. जीएम फसल यानी जेनेटिकली मोडीफाइड या हिंदी में कहें जैविक रूप से कृत्रिम तरीके से बनाई गईं फसल बीज. दावा किया जाता है कि ये बीज साधारण बीज से कहीं ज्यादा उत्पादन देंगे.
जीएम सरसों सहित अन्य जीएम फसलों के देश में व्यवसायीकरण के संकेत मिल रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार का समर्थन करने वाले संगठनों का भी मानना है कि इससे मॉनसैंटो जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा पेटेंट करवाए जा चुके महंगे बीजों पर निर्भर हो जाने का डर है.
देश में जीएम सरसों के बाजार में उतारने की तैयारी के मद्देनज़र बिहार मुख्यमंत्री का ताज़ा बयान महत्वपूर्ण है. बिहार ने 2009 में जीएम फसलों के फील्ड ट्रायल को राज्य में सख्ती से रोक दिया था.