लेखक (writer) कैसे बनें? उन्हें देखिए जो ड्राइंग रुम, सोफा, डेस्कटॉप और मोबाइल इंटरनेट के इस जमाने में बुद्धिजीवी बन गए हैं. चाहे वह फेसबुक ग्रूप हो या कोई व्हाट्सएप ग्रुप या मैसेंजर ग्रुप. उन सभी प्लेटफार्म पर अलग-अलग क्षेत्रों के बुद्धिजीवी ज्ञान बघाड़ते मिल जाएंगे.
इतने दिनों में उन्हें पता ही नहीं चला कि कब उन्हें वास्तव में जनमानस से जुड़कर देश की प्रगति का हिस्सा बन जाना चाहिए था. वे तो अब तक 10 या 20 या 200 या कुछ-एक हजार लोगों के अलग-अलग ग्रुप में वाद-विवाद करते रह गए.
आप अभी सोच ही रहे हैं कि लेखक कैसे बनें और वे आपको सोशल मीडिया, खासकर फेसबुक और ट्विटर पर गहरी सांसे ले-लेकर नए जमाने के टेक-एक्टिविस्ट और इन्फो-स्पेशलिस्ट के रूप में कुछ भी शेयर करते नजर आ जाएंगे.
हर लाइक, शेयर या रिट्विट से उन्हें जीवन की दो बूंद जो मिलती है. उसी से उत्साहित होकर वे ‘लेखक-पत्रकार’ अपने पोस्ट पर वाद-विवाद प्रतियोगिता करते दिखते हैं.
इस क्रम में सोशल मीडिया (Social Media) साइट्स को हिट्स मिलते रहते हैं जिन्हें वे आखिरकार रेवेन्यू जेनरेट करने में इस्तेमाल करते हैं.
नो लंच इज फ्री
आपको लगता है कि फेसबुक फ्री है, ट्विटर फ्री है, व्हाट्सऐप फ्री है. आप उस अंग्रेजी कहावत को भूल जाते हैं – नो लंच इज फ्री.
आपने कभी सोचा है कि फेसबुक (Facebook) या ट्विटर (Twitter) जैसे प्लेटफार्म के पास अपना कंटेट क्या है? अगर हम और आप वहां कुछ पोस्ट ना करें तो दोनों के दोनों प्लेटफार्म खाली दुकान की तरह लगेंगे. उनके पास बेचने के लिए फिर कुछ भी नहीं होगा.
आपकी पोस्ट से उनकी दुकानें सजती हैं और आपको फ्री का प्रलोभन देकर आपके ही कंटेट को ये प्लेटफार्म दोबारा आपको या आपके दोस्तों, सम्बन्धियों और जानने वालों को बेच देते हैं.
टेक्नोलॉजी अपने साथ कई फायदे भी लेकर आई है जिन्हें भारत बोलेगा रेखांकित करता रहता है. उपरोक्त के मद्देनजर हमारी राय है कि फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप समेत तमाम सोशल मीडिया से आप भले जुड़े रहें लेकिन साथ ही नए जमाने में अपनी वेबसाइट (website) तैयार कर अपने-अपने मन की बात देशवासियों से साझा करें.
ऐसा करके अपनी बात पूरे विश्व में पहुंचाई जा सकती है. साथ ही अपनी कम्युनिटी, मोहल्ले या जाने पहचाने लोगों और अनजान पाठकों के कमेंट्स से आपकी वेबसाइट निखर सकती है और आप अपनी पहचान बना सकते हैं.
वेबसाइट बनाने का खर्चा ज्यादा नहीं होता और इसे तैयार करने वालों की भी कमी नहीं है. फिर भी, अगर वेबसाइट बनाना खर्चीला लगे तो शुरूआत में अपना ब्लॉग (blog) शुरू किया जा सकता है. अपने प्लेटफार्म पर आप खुद विचारक होते हैं.
वहां आप ही लेखक और आप ही संपादक होते हैं. आपकी वेबसाइट या ब्लॉग के कंटेट का कॉपीराइट आपके पास होता है जिसे आप मार्केट भी कर सकते हैं. शुरूआती जानकारी या सहायता जी कैफ़े क्रिएटिव एजेंसी से प्राप्त की जा सकती है.