भारत बोलेगा

लेखन कला: कैसे लिखें बेहतर

दिल्ली के कश्मीरी गेट इलाके में स्थित अंबेडकर यूनिवर्सिटी लिटररी आर्ट्स में मास्टर्स डिग्री हेतु भारत का एकलौता शिक्षा संस्थान है. इसी कोर्स को पढ़ते हुए लिखने के प्रति मेरी रूचि को एक नई दिशा मिली है.

राइटिंग के अपने कुछ सीमित अनुभवों से बात करूं तो मैंने ये जाना है कि लेखन कला सभी की स्वाभाविक प्रतिभा नहीं होती. कई लोगों को लिखने में दिलचस्पी तो होती है मगर वे अक्सर शब्दों से अपनी भावना व्यक्त नहीं कर पाते.

ऐसे में खूब पढ़ना एक महत्वपूर्ण ज़रूरत है. यदि आप एक अच्छे लेखक बनना चाहते हैं तो अच्छी किताबों को पढ़ें. किसी भी किताब को एक बार तो आप एक आम पाठक की तरह शौक के लिए पढ़ सकते हैं. परंतु यदि आपको लेखनी में दिलचस्पी है तो उसी किताब को एक लेखक के नज़रिए से पढ़ने की कोशिश करें.

एक पाठक किसी भी लेख या किताब को पढ़ते हुए ये जानने के लिए उत्सुक होता है कि उस लेख में क्या लिखा गया है, परंतु यदि आप एक लेखक के नज़रिए से उसी लेख को पढ़ें तो आप जान पाएंगे कि जो भी बात लिखी गई है वह कैसे कही गई है.

एक पाठक किसी भी किताब के बारे में अच्छा या बुरा महसूस कर सकता है, पर एक लेखक के नज़रिए से पढ़ने पर आप जान पाते हैं कि कोई किताब आपको अच्छी या बुरी क्यों लगी. लेखक ने ऐसी क्या तकनीक इस्तेमाल की जिससे आपको उस लेखनी की कोई भी बात छू गई या प्रभावित नहीं कर पाई.

एक लेखक के नज़रिए से पढ़ते वक्त कुछ सवालों पर ध्यान दें, जैसे – लेख की पहली पंक्ति क्या है, कैसी है, क्या टेक्स्ट का पहला पैराग्राफ आपको आगे पढ़ने के लिए प्रेरित कर पाया है, यदि हां तो कैसे, यदि ना तो क्यों.

लेखक की उन कोशिशों को भी समझने का प्रयास करें जिनके द्वारा वह अपने किरदारों और पृष्ठभूमि को सफलता से प्रस्तुत कर पाया है. क्या आप कहानी के किरदारों और जगहों को अपने मन की आंखों से देख सकते हैं, या उनकी छवि धुंधली प्रतीत होती है?

जानने कि कोशिश करें कि आखिर उस किरदार या जगह के बारे क्या बाते कही गई हैं और किस तरह से कही गई हैं जिससे आपके मन में उनकी एक साफ या धुंधली छवि बनी.

याद रखें, यदि आप किसी अन्य व्यक्ति के लेख को पढ़ने में दिलचस्पी नहीं रखते हैं तो मुमकिन है अपनी लेखनी से आप दूसरों को प्रभावित नहीं कर पाएंगे.

एक अच्छे लेख या फिर भाषण में भी उदाहरण, तथ्य, और आपके स्वयं के अनुभव जान डाल सकते हैं. लेखक जावेद अख्तर हों या गुलज़ार, इन्होंने कितनी ही सुपरहिट फिल्मों की पटकथाएं ऐसे ही नहीं लिख दी हैं. अब आप भी शुरू हो जाएं, आज से ही.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी
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