किसी भी भगवान को आप और हम उतना ही जान सकते हैं जितना वह स्वयं हमारे सामने खुद को प्रकट करना चाहें.
तो संभव है कि राम ने वशिष्ठ के सामने कुछ अलग संदर्भ, वाल्मिकि के सामने कुछ अलग और तुलसी के सामने कुछ अलग प्रकट किया हो.
इसीलिए रामायण के ये तीनों सबसे प्रसिद्ध और चर्चित रचयिताओं की कथाओं में अंतर देखा जाता है.
श्रीरामजन्मभूमि स्थल पर राममंदिर निर्माण आरंभ होने के अवसर पर भारत बोलेगा आपको कुछ ऐसी रामकथाओं से परिचित कराएगा जो सुनी-सुनाई कथाओं से भिन्न होंगी.
श्री राम के कितने सारे रूप
रामकथा केवल भारत की लोकप्रिय कथा नहीं, बल्कि पूरे एशिया में रामकथाएं प्रचलित हैं.
चीन, लाओस, कंबोडिया, वियतनाम, इंडोनेशिया, तिब्बत, बर्मा, नेपाल सहित अन्य देशों में रामकथाएं प्रचलित हैं.
कई देशों की मूर्तिकला व चित्रकला में राम दिखते हैं; बस कथाओं में थोड़ा अंतर आ जाता है.
कहीं सीता को दशरथ की पुत्री बताया जाता है तो कहीं सीता को राम की बहन.
कहीं युद्ध में राम को वीरगति मिलती है और लक्ष्मण युद्ध का निर्णय करते हैं, तो कहीं रावण और राम को एक ही कुल का बताया गया है.
जितने ह्रदय उतने राम
ऐसा भी नहीं है कि कथाओं में अंतर केवल भारत से बाहर के काव्यों में मिलता है
हरि अनंत, हरि कथा अनंता
रामायण के अनगिनत संस्करण हैं. साथ ही अठारह पुराणों में से अधिकांश में रामकथा का उल्लेख है. उन्हें उच्च आदर्शों को धारण करने वाले नारायण के मानव स्वरूप के रूप में चित्रित किया गया है.
जानें अलग-अलग रामायण को
वाल्मिकि रामायण संस्कृत में रचा गया सबसे लोकप्रिय रामायण है. लेकिन संस्कृत में अद्भुत रामायण, आध्यात्म रामायण और आनंद रामायण जैसे कई अन्य रामायण लिखे गए हैं.
एक और नाम भुशुंडी रामायण का भी जोड़ा जा सकता है जिसे आदि या ब्रह्मा रामायण भी कहा जाता है.
कहते हैं तुलसीदास ने भी रामकथा लिखने की शुरुआत संस्कृत में ही की थी लेकिन उन्होंने सात श्लोक ही लिखे थे जब शिवजी उन्हें लेकर चले गए.
रोते-बिलखते तुलसी को शिव ने सपने में दर्शन दिया और कहा कि इसे लोकभाषा में रचो और लोकप्रिय बनाओ.
तुलसी ने अवधी में रामचरितमानस लिखा जो वाल्मिकि रामायण से नहीं बल्कि भुशुंडी रामायण से अधिक प्रभावित है जो उस काल में भारत में प्रचलित था.
कहा जाता है कि वाल्मिकि ने भी दो रामायण लिखे. वृहद संस्करण देवताओं के उपयोग के लिए था जिसमें सौ करोड़ श्लोक थे. वहीं दूसरा संस्करण संक्षिप्त था और यह मानव जाति के उपयोग के लिए था. इसमें चौबीस हजार छंद थे और यही आज हमारे बीच प्रचलित है.
अद्भुत रामायण को देवताओं के लिए रचे गए वाल्मिकि के उसी वृहत रामायण का निचोड़ कहा जाता है, और उसमें वे प्रसंग दिए गए हैं जो वर्तमान वाल्मिकि रामायण में नहीं हैं.
आप किस राम को मानते हैं?
प्रश्न उठता है कि आप किस राम को जानते हैं और कितना जानते हैं.
आपने यही जाना होगा कि राम विष्णु के अवतार हैं. लेकिन, एक ग्रंथ ऐसा भी है जिसमें राम को न केवल विष्णु का अवतार बताया गया है बल्कि शिव, ब्रह्मा, हरिहर और त्रिमूर्ति का अवतार बताते हुए उन्हें परब्रह्म तथा परम सत्य कहा गया है.
सतरहवीं सदी का माना जाने वाला रामब्रह्मानंद द्वारा रचित समग्र रामायण में राम की विवेचना परम सत्य के रूप में की गई है.
इसमें कहा गया है कि कोई स्वयं को राम का भक्तमात्र ही नहीं समझ सकता बल्कि स्वयं को राम के सहयोगी, सहचर के रूप में रखकर भी उस परब्रह्म के भीतर अपने अस्तित्व को समाहित करके देख सकता है. यह साधना की अद्वैतिक रीति है.
कथा ग्रंथों में राम का स्वरूप कुछ है तो नाटकों और चित्र तथा मूर्तिकला में कहानी कुछ और इतर हो जाती है
जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी
अन्य रामायणों में से योग वशिष्ठ रामायण सबसे प्राचीन प्रतीत होता है. भतृहरि ने कई स्थानों पर वशिष्ठ रामायण का संदर्भ दिया है.
भतृहरि को 650 ईसवी का माना जाता है. इस प्रकार वशिष्ठ रामायण सातवीं शताब्दी के आरंभ का होना चाहिए.
राम की कथा किसने कही, सबसे पहले किससे कही, किसे सुनाई, किसने लिखी. यानी सूत्रधार से लेकर उसके रचयिता तक में बहुत अंतर दिख जाता है.
योग वशिष्ठ रामायण दार्शनिक ग्रंथ है जिसे वशिष्ठ और राम के बीच संवाद के रूप में प्रस्तुत किया गया है.
आध्यात्म रामायण में रामतत्व (राम के रहस्य) का वर्णन मिलता है और इसकी कथा को सीता, राम और हनुमान के बीच का संवाद बताया जाता है.
आध्यात्म रामायण का शिल्प पुराण जैसा है. इसके कथावाचक सूत हैं जबकि वाल्मिकि रामायण में वाल्मिकि को राम की कथा नारद सुनाते हैं.
तुलसीदास के रामचरितमानस में सूत्रधार के रूप में शिव भी आते हैं.
अद्भुत रामायण में तीन खंड
अद्भुत रामायण का पहला और दूसरा खंड तो बहुत हद तक वाल्मिकि रामायण से मिलता जुलता है, लेकिन अंतिम खंड की कहानी आपके लिए हैरानी वाली होगा.
इसमें दशमुख नहीं बल्कि सहस्रमुख यानी हजार मुख वाले रावण का एक प्रसंग आता है जिसका वध भगवती के रूप में सीता करती हैं.
है न चौकाने वाली और अनसुनी कहानी. अद्भुत रामायण का चरित्र वैष्णव और शाक्त दोनों ही है.
आनंद रामायण में कुछ ऐसे प्रसंगों का उल्लेख है जो वाल्मिकि रामायण में नहीं मिलते.
उदाहरण के लिए, रावण द्वारा राम की माता कौशल्या का हरण, सीता स्वयंवर में रावण की उपस्थिति, अहिरावण और महिरावण द्वारा राम और लक्ष्मण को पाताल लोक लेकर जाना तथा हनुमान द्वारा उन्हें मुक्त कराया जाना, सुलोचना की कथा हैं.
इसमें रावण द्वारा सीताहरण बहन शूर्पणखा के अपमान का प्रतिशोध लेना नहीं है बल्कि मोक्ष प्राप्त करने की रावण की अभिलाषा से प्रेरित है. रावण, राम के हाथों मोक्ष प्राप्ति का एक प्रयास करता है.
इसमें राम और सीता का दैनिक जीवन, राम द्वारा दिव्य कन्याओं को आश्वासन दिया जाना कि वह कृष्ण के रूप में पुनः अवतार धारण करेंगे तब वे कन्या गोपियों के रूप में जन्म लेंगी, राम की सेना के साथ लव और कुश का युद्ध, राम और उनके अनुजों के पुत्रों के विवाह का वर्णन, शतमुख रावण के हाथों राम की पराजय और सीता द्वारा शतमुख रावण का वध जैसे बहुत से प्रसंग इसमें मिलते हैं.
इसकी कथाएं ज्यादा रोमांचक हैं, शायद इसीलिए इसका नाम आनंद रामायण है.
क्या राम सिर्फ भारत के ही हैं?
राम का नाम या उल्लेख केवल भारत में ही नहीं मिलता. अफगानिस्तान, ईरान और कई अन्य पड़ोसी देशों में कई ऐसे स्थल बताए हैं जिनके नाम में राम आता है. ये हैं- रामाका, रामाकंद (अफगानिस्तान के उत्तर-पश्चिम में एक पहाड़ी का नाम); रामागर्द (फारस में एक शहर का नाम); रामांद (हमादान प्रांत का एक गांव); रमानी (बुखारा के बाहर स्थित एक छोटा सा गांव); रामुसान (बुखारा का एक गांव); रामियाना (ककज का एक गांव); रामातिन (गुरागां का एक केंद्रीय शहर); रामजर्द (अफरासिआब के एक राजा द्वारा बसाया गया बुखारा का एक गांव).
तुलसीदास जी कहते हैं- रामकथा सुंदर कर तारी। संसय बिहग उड़ावनिहारी॥ राम की कथा हाथ की सुंदर ताली है, जो संदेहरूपी पक्षियों को उड़ा देती है. बिना सुने संदेह दूर नहीं होगा. इसलिए भारत बोलेगा की रामकथा की इस विशेष प्रस्तुति को मित्रों और सम्बंधियों में शेयर करें.