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प्राइड एंड प्रिजुडिस पढ़ना ज़रूरी

प्राइड एंड प्रेजुडिस से पूर्व, 1811 में, जेन ऑस्टिन का पहला उपन्यास सेन्स ऐंड सेंसिबिलिटी प्रकाशित तो हुआ, परंतु उसमें जेन का नाम गुप्त ही रखा गया था. प्राइड एंड प्रेजुडिस ने इस बेहतरीन लेखिका को उनके नाम से पहचान दिलवाई और सैकड़ों पाठकों ने रोमांटिक उपन्यासों की दुनिया की खूबसूरती का स्वाद चखा.  

इस उपन्यास के मुख्य किरदार एलिजाबेथ बेनेट और फिट्जविलियम डार्सी तब से आज तक युवाओं के दिल पर राज करते आ रहे हैं. इसका एक मुख्य कारण इस जोड़े के सादगी भरे व्यवहार में पनपते प्रगतिशील विचारों को खूबसूरती से पिरोए हुए इस उपन्यास की पटकथा में है.

उनकी नोक झोंक से शुरू हुए प्यार, डार्सी के इज़हार, एलिजाबेथ के इनकार, उनके बीच तकरार, और फिर एक बार प्यार, पाठकों के लिए किसी रोलर कोस्टर राइड से कम नहीं है. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि अन्य लिखे कई रोमांटिक उपन्यासों एवं आज तक भी बनती आ रही अनेक फिल्मों की कहानियों की नींव 1813 में छपे प्राइड एंड प्रेजुडिस उपन्यास में ही है.

pride & prejudice

प्राइड एंड प्रेजुडिस कहानी है विक्टोरियन समाज के एक मध्य वर्ग के परिवार की, जिमसें पांच बिन-ब्याही बेटियों की मां, मिसेज बेनेट, इसी चिंता एवं जतन में लगी रहती हैं कि उनकी बेटियों की शादी जल्द से जल्द अच्छे घरानों में हो जाए.

इंग्लैंड के सामाजिक परिवेश उस समय विशेष रूप से स्तरीकृत थे और वर्ग विभाजन, पारिवारिक कनेक्शन और धन-दौलत में निहित भी. खैर, भारत के मौजूदा हालातों में भी कुछ खास परिवर्तन नहीं दिखाई देता है.

आज भी आए दिन हमारे आस पास हमें इसके उदाहरण बड़े आसानी से देखने को मिल जाते हैं. कहीं बेटी की शादी की उम्र बीते जाने की चिंता, कहीं बड़े घराने से रिश्ता जोड़ने के असीम प्रयत्न, तो कहीं अपने प्रेमी के साथ भाग कर शादी करने पर परिवार की प्रतिष्ठा मिट्टी में मिलाने का डर आज भी हमारे समाज को घेरे हुए है.

शायद यह भी एक वजह है जिससे आज तक पाठक बेनेट परिवार की सुविधाओं-दुविधाओं से अपना एक जुड़ाव महसूस कर पाते हैं. इसी संदर्भ में लिखा सीमित सामाजिक गतिशीलता एवं मज़बूत वर्ग चेतना को दर्शाता, इस उपन्यास का यह पहला वाक्य बेहद ही मशहूर है- “यह सच्चाई सार्वभौमिक रूप से स्वीकार की गई है कि अच्छे भाग्य के धनी व्यक्ति को पत्नी की इच्छा होनी ही चाहिए.”

दिलचस्प बात यह है कि इस उपन्यास में रोमांस का जायका भरने वाला डार्सी और एलिजाबेथ का प्यार नहीं, बल्कि उनके बीच पैदा हुईं गलतफहमियां हैं. डार्सी का अभिमान (प्राइड) और उसके खिलाफ एलिजाबेथ की पूर्वधारणा (प्रेजुडिस) उनके बीच की कठिनाइयों को बढ़ाता है. यह दोनों ही गुण एक रिश्ते में कितनी अहम भूमिका अदा करते हैं, इसका बेहतरीन उदाहरण है यह उपन्यास.

कहानी में सबसे बड़ी बहन जेन और बिंगले पहली मुलाक़ात से ही एक दूसरे से प्यार करने लगते हैं, वहीं एलिजाबेथ और डार्सी को प्राइड और प्रेजुडिस अंत तक जुदा रखता है.

इस उपन्यास में जहां दो बहनों की प्रेमकथा के प्रति जेन ऑस्टिन की सराहना नज़र आती है, वहीं छोटी बहनों के प्रेम संबंधों से ऑस्टिन की आलोचना झलकती है. छोटी बहनों की कहानी के द्वारा जेन ऑस्टिन उन लोगों की आलोचना करती हैं जो शादी के आश्वासन के बिना बहक कर जल्दबाजी में कुछ बड़े फैसले ले लेते हैं (जैसे कि लीडिया और विक्हम) और जो सामाजिक एवं आर्थिक कारणों से किसी भी अजीब-ओ-गरीब व्यक्ति से विवाह कर लेते हैं (शार्लट और कॉलिंस).

एक ओर मिस्टर और मिसेज बेनेट हैं, जिनके बीच हर मुद्दे पर उनकी आपसी असहमती के तले प्यार कहीं दबता चला गया और दूसरी ओर हैं गार्डीनर्स जिनका आपसी स्नेह एवं एक दूसरे के विचारों के लिए सम्मान उन्हें प्रेमियों का रोल मॉडल बनाता है.

प्यार के खट्टे-मीठे अनुभवों से गुज़रे हर उम्र के व्यक्ति के लिए इस उपन्यास में कुछ ना कुछ मिलते जुलते अनुभवों का सामना होने की पूरी-पूरी गुंजाइश है.

एक रोमांटिक कहानी होना, और एक साधारण कहानी को इस करीने से पेश करना कि वह पाठकों के दिल पर रोमांस का जादू छिड़क दे और उसके मुख्य किरदारों में लोग अपने जीवनसाथी की कल्पना करने लग जाएं, एक उम्दा लेखक की कला है.

जेन ऑस्टिन की इसी बेहतरीन प्रतिभा के बारे में प्रोफ़ेसर जिम बूथ लिखते हैं, “कुछ उत्तम लिखना कठिन है; कुछ महान लिखना और भी कठिन है. कुछ ऐसा लिखना जो महान भी हो, और सर्वोत्तम भी? तो इसके लिए प्राइड एंड प्रेजुडिस लिखने की आवश्यकता होगी.


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