भारत बोलेगा

तो क्या राष्ट्रीय संग्रहालय ढह जाएगा

मॉरिस ग्वेयर कमिटी द्वारा 1946 में स्थापित किया गया दिल्ली का राष्ट्रीय संग्रहालय (National Museum) जल्द ही ढहने वाला है. इस संग्रहालय ने भारत के 5000 से अधिक वर्षों की संस्कृति को अब तक भली भांति संजोए रखा है.

यहां सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर पोस्ट-मॉडर्न युग तक की करीबन 2,00,000 विभिन्न प्रकार की वस्तुएं, कलाकृतियां एवं मूर्तियां मौजूद हैं. अब इन्हें अलग-अलग संग्रहालयों, संगठनों एवं विरासत स्थलों में चले जाना है. 

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जनपथ रोड (Janpath) पर स्थित इस नेशनल म्यूज़ियम में कई आर्ट कोर्स भी पढ़ाए जाते रहे हैं, जिनकी एक अलग यूनिट बनने की संभावना है.

उद्योग भवन मेट्रो स्टेशन से कुछ मिनट की पैदल दूरी पर स्थित नेशनल म्यूज़ियम की भारतीयों के लिए एंट्री फीस मात्र 20 रूपए है. म्यूज़ियम के गेट नं  3 से प्रवेश कर एक लहलहाता लॉन सामने आता है जिसके बाईं ओर संग्राहलय की एक विशाल इमारत नज़र आती है. 


हाल ही में गैर सरकारी संगठन पनाश के तत्वाधान में यहां एक नेशनल ग्रुप आर्ट एग्जीबिशन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मोंटेनेग्रो की आनरेरी कॉन्सुलेट एच. ई. जैनिस दरबारी थीं, और ख़ास अतिथि ललित कला अकादेमी के चेयरमैन डॉ. नन्द लाल ठाकुर थे.

Artwork Painting by Niharika Agrawal National Musuem

इस प्रदर्शनी (exhibition) में करीबन 20 कलाकारों ने भाग लिया. सभी चित्रकलाएं (art and paintings) विषय एवं माध्यम में एक दूसरे से स्वतंत्र थीं. जहां निहारिका अग्रवाल ने अपनी कलाकृति के माध्यम से बलात्कार पीड़ितों के दर्द को दर्शाया, वहीं रमेश राणा ने अपनी पेंटिंग से जीवन के संतुलन का महत्त्व का प्रदर्शन किया.

सुनीता अग्रवाल ने अपनी कला से बचपन में अपने पिता को खो देने का गम बयान किया जबकि शुभम मालव की प्रदर्शनी एक पूंजीपति समाज से उनकी निराशा पर एक सामाजिक टिपण्णी दिखी.

कोविड-19 के बढ़ते मामलों के कारण दिल्ली स्थित यह राष्ट्रीय संग्रहालय फिलहाल बंद कर दिया गया है. संभव है कि निहारिका सिंह एवं राज कुंवर बिष्ट द्वारा क्यूरेट की गई ये सामूहिक कला प्रदर्शनी संग्रहालय की आखिरी प्रस्तुति हो.

एसोसिएट क्यूरेटर निहारिका सिंह ने राष्ट्रीय संग्रहालय से कंज़र्वेशन में मास्टर्स की डिग्री भी हासिल की है, जिस वजह से भी उनका इससे पुराना जुड़ाव है. 


केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने एक आदेश में कहा है, “कोविड महामारी के प्रसार के कारण उपजे हालात के मद्देनजर और दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत जारी आदेश के अनुसार, पांच जनवरी, 2022 से राष्ट्रीय संग्रहालय अगले आदेश तक आगंतुकों के लिए बंद रहेगा.”

केंद्र सरकार के सेंट्रल विस्टा प्रॉजेक्ट (Central Vista Project) के तहत दिल्ली के लुटियन इलाके की कई बड़ी इमारतों को हटाया जा रहा है जिस परियोजना के तहत नेशनल म्यूज़ियम के साथ-साथ इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र और एनेक्सी ऑफ़ नेशनल आर्काइव्ज जैसे प्रमुख सांस्कृतिक संस्थानों को ढहा देने की योजनाएं सामने आईं हैं.

गौरतलब है कि इस सम्बन्ध में पारदर्शिता की कमी केंद्र सरकार की संवेदनहीनता का प्रतीक है.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी
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