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क्या आपको भी हिन्दी से उतना ही प्यार है

Hindi newspaper Amar Ujala

हिन्दी या हिंदी (Hindi) को लेकर एक यह विचारधारा भी देखने को मिलती है – हिन्दी मातृभाषा है, मज़दूरों की भाषा है; जबकि अंग्रेज़ी (English language) अफसरों की भाषा है, अमीरों की भाषा है.

एक विधानसभा चुनाव के नतीजों के दिन दिखाए गए कवरेज को लेकर एक हिन्दी चैनल (TV news channel) में दावा किया कि उसे करीब सात करोड़ लोगों ने देखा. इसी दिन रैंकिंग में आगे चल रहे एक अंग्रेज़ी चैनल को मुश्किल से नौ लाख लोगों ने देखा.

यह आश्चर्यजनक है कि कमाई में अंग्रेज़ी चैनल हिन्दी के मुक़ाबले दोगुना कमाते हैं.

बड़े समाचार समूह, जैसे टाइम्स ऑफ इंडिया और नवभारत टाइम्स को देखें तो पाएंगे कि इनके विज्ञापन दरों में तीन से चार गुने का फर्क है.

एक नज़र भाषाई पत्रकारों पर भी डालें तो पता चलता है कि हिन्दी के बेहद अनुभवी संपादक की सालाना सैलरी एक करोड़ से कम होती है. वहीं, उनसे अनुभव में आधे अंग्रेज़ी संपादक की सालाना सैलरी 3.5 करोड़ रुपए तक है.

इस मामले को मनोरंजन की दृष्टि से भी देखिए – शाहरुख़, सलमान या आमिर खान हिन्दी फिल्मों से ही अरबपति बने. पर, ख़ास मौक़ों पर वे सिर्फ अंग्रेज़ी ही बोलते हैं.

बीएमडब्लू, मर्सिडीज़ या ऑडी ख़रीदने वालों की तादाद में भारी बढ़ोतरी हो रही है, पर अभी भी इन महंगी गाड़ियों के विज्ञापन सिर्फ अंग्रेज़ी चैनलों और अंग्रेज़ी अख़बारों और पत्रिकाओं में ही आते हैं.

इतने भेदभाव के बावजूद मुझे हिन्दी से अथाह प्यार है. मैं हिन्दी बोलता हूं, समझता हूं, पढता हूं और हिन्दी में ही लिखता हूं क्योंकि जीवन्त रहने में मुझे अत्यधिक आनंद मिलता है

इनसे मिलिए

ऑस्ट्रेलिया के ऐसे शख्स की जानकारी मिली है जिसे हिन्दी से बेहद प्यार है. ये हैं इयान वुलफर्ड (Ian Woolford). ऑस्ट्रेलिया की ला ट्रोब यूनिवर्सिटी में ये प्रोफेसर हैं.

ब्रिटेन में जन्मे इयान का हिन्दी से पहला सामना त्रिनिदाद में हुआ जहां वो अपनी मां के साथ गए थे. उन्हें ये भाषा इतनी पसंद आई कि इन्होंने बीए, एमए. और पीएचडी भी इसी में कर ली.

इयान मैथिली, भोजपुरी, नेपाली और तो और संस्कृत भी धाराप्रवाह बोल लेते हैं. उनकी इस खूबी की सराहना महानायक अमिताभ बच्चन भी करते नहीं थकते.

इयान सोशल मीडिया पर भी एक्टिव हैं जहां भाषा को प्रचारित प्रसारित करने का कोई मौका नहीं छोड़ते.

ये अपना ट्विटर अकाउंट @iawoolford हिन्दी में ही जारी रखे हुए हैं, जहां अपने परिचय में खुद को गर्व से हिन्दी प्रोफेसर बताते हुए ये लिखते हैं: वास्तविक जीवन है ये, या सिर्फ कल्पना? वास्तविकता से कोई पलायन नहीं.


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