बात जब ईश्वर की सबसे बहुमूल्य रचना की आती है, तो सर्वप्रथम मानवीय सृष्टि का नाम लिया जाता है. और बात जब इस सृष्टि की उत्तरजीविता पर आती है तो सबकी नज़र ईश्वर की प्रकृति पर जाती है.
ViewAuthor: अंशु गुप्ता
प्रकृति की छांव में.
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Viewकैसे बदलती रही है लेखनी!
लेखनी और संचार माध्यम से ही वैचारिक आदान होता रहा है. किसी भी भाषा या देश का पूरा इतिहास, शासन प्रबंध और साहित्य केवल उसकी लेखन संपदा पर निर्भर करता है. परंतु आश्चर्य इस बात से होता है कि जब लिखने के वर्तमान साधन प्रयोग में नहीं थे तो क्या उस समय भी लिखित रूप से संचार करना इतना ही सरल हुआ करता था?
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