डिबेट: लोकतंत्र बनाम राजशाही

दुनिया में लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍थाएं सबसे बेहतर मानी जाती हैं जबकि इसकी तुलना में राजशाही में जन-अधिकारों पर हमेशा से संदेह की छाया रही है.

यही वजह है कि अधिकतर देशों में लोकतांत्रिक सरकारें हैं जिनमें जनता द्वारा, जनता से, जनता के लिए सरकार बनती है, लेकिन दुनिया में आज भी कुछ ऐसे देश हैं जहां राजशाही है.

इन्हीं देशों में से एक जापान है जहां नारोहितो नए राजा बनाए गए हैं. 59 वर्षीय नारोहितो देश के 126वें राजा बने हैं.

जब कभी इतिहास की बात की जाती है तो ‘नेता’ और ‘मंत्री’ जैसे शब्दों का प्रयोग ठीक नहीं लगता. इतिहास की शोभा ‘राजा’, ‘नवाब’, ‘शहंशाह जैसे शब्दों से ही बनती है.

लोकतंत्र तो अभी प्रचलित हुआ है जिसमें नागरिक स्वयं अपना शासक निर्वाचित करते हैं.

वास्तविकता में तो निर्वाचित व्यक्ति शासक भी नहीं होता. वह मात्र एक प्रतिनिधि होता है जो अपने निर्धारित कार्यकाल के बाद उस पद पर नहीं रहेगा.

साथ ही ऐसे निर्वाचित नेता देश की सेवा करने के लिए मासिक वेतन लेते हैं जो नागरिकों द्वारा दी गई कर-राशि में से आता है. अर्थात, मौलिक रूप से नागरिक ही मालिक हुए.

इसलिए हम देखते हैं कि लोकतांत्रिक सत्ता वाले देशों में सर्वोच्च पद पर विराजमान नेता भी हाथ जोड़ कर खुद को ‘प्रधान-सेवक’ के रूप में प्रस्तुत करता है.

इसी कड़ी में फिलहाल भारत में लोक सभा चुनाव हो रहे हैं जिस दौरान हर गली मोहल्ले में नेता आपको दर्शन देते नज़र आ रहे हैं.

सत्ता के छिन जाने का भय उनकी कार्य-शैली में साफ तौर से नज़र आता है, वह जनता को लुभाने का प्रयास करता नज़र आता है.

इन सब के बीच वो राजसी व्यवहार, राजसी प्रभाव और राजसी ठाठ कहीं धुंधले से पड़ जाते हैं.

चूंकि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, इसलिए यहां तो ये चिन्ह स्पष्ट नज़र आते हैं.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी