माना कि हम यार नहीं

एक्टर परिणिति चोपड़ा ने हाल ही में एक गाना गाया है: ‘माना कि हम यार नहीं…’ फिल्म है ‘मेरी प्यारी बिंदु’. इसी गाने को फिल्म के लिए गायक सोनू निगम ने भी गाया है. श्रद्धा कपूर सहित कई अन्य हीरोइनें एक-आध गाने यदा कदा गाती रही हैं. हीरो हीरोइन जब खुद गाते हैं तो वह ख़ास हो जाता है. मेरी सबसे पसंदीदा फिल्मों में से एक ‘ज़िन्दगी ना मिलेगी दोबारा’ में तो कई एक्टरों ने सुर लगाया है. यह सब कहने का तात्पर्य है कि अपना काम करते हुए जब हम कुछ और भी करते हैं या कर गुजरते हैं तो यूं समझ लीजिए कि बस कुछ उम्दा ही कर बैठते हैं.

90 के दशक में पढाई करते-करते अपने शहर मुजफ्फरपुर में जब अपने घर में ही हमने ‘सेल्फ डेवलपमेंट सेंटर’ (एस.डी.सी.) नाम से एक संस्था शुरू की तो देखते-देखते कई लोग जुड़ गए. [उसे भूत काल का एक स्टार्ट-अप कहा जा सकता है.] आज अचानक एस.डी.सी. की याद आई तो होठों पर ख़ुशी छलक आई. मन गदगद इसलिए भी हुआ कि एस.डी.सी. के हर सदस्य आज बड़े जिम्मेदार नागरिक के रूप में विभिन्न क्षेत्रों में अपनीे उत्तम सेवाएं दे रहे हैं, जिसके लिए सारा क्रेडिट उनकी सच्ची लगन को जाता है.

आज हमारे बीच वो कुछ उम्दा आवाज़ नहीं है जिनके गीत हम-आप यूं ही गुनगुना लेते हैं, चाहे वो एक्टर नूतन ही क्यों न हों जिनकी सचमुच की कोयल सी आवाज़ यकीनन अधिकतर लोगों ने नहीं सुनी होगी. …लेकिन मौजूदा समय में हर रोज़ नए गाने बन रहे हैं, निरंतर, और कहीं बेहतर भी. उसी तरह मेरा शहर मुजफ्फरपुर भी काफी बदल गया है. मेरे लगातार दिल्ली रहने से वहां मेरे-आपके रिश्तों का आकार भी बदल गया है. एस.डी.सी. भले ही अब नहीं है, लेकिन मुजफ्फरपुर जैसे कई शहरों में इस तरह की संस्थाएं चल रही हैं जहां से जिम्मेदार नागरिक उभर रहे हैं. देश की प्रगति में छोटे शहरों का योगदान वैसा ही है जैसा एक बच्चे के जन्म में मां का.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी