बच्चों की छह फिल्में

घर को बनाएं होम थिएटर और अपने बच्चों के साथ देखें ढ़ेर सारी फिल्में. बॉलीवुड की अधिकतर फिल्में बच्चों के लिए बहुत उपयोगी नहीं होतीं. लेकिन, ऐसी कई फिल्में हैं जो बच्चों को ही ध्यान में रखकर बनाई गई हैं. इन फिल्मों को बच्चों के साथ देखा जा सकता है.

हलो (1996)

संतोष सिवान द्वारा निर्देशित फिल्म हलो एक मार्मिक कहानी है एक छोटी बच्ची और उसके पालतू कुत्ते की. फिल्म बहुत खूबसूरती से बच्चों और बड़ों, सबको कृतज्ञता और दोस्ती का आभास कराती है. संतोष सिवान ने ही तहान भी बनाई है जो एक गधे और एक लड़के की कहानी है. गधा गुम गया है और किस्सा कश्मीर का है.

बम बम बोले (2010)

प्रियदर्शन द्वारा निर्देशित फिल्म बम बम बोले ईरानी फिल्म चिल्ड्रन ऑफ़ हेवन की आधिकारिक कॉपी है. फिल्म दर्शाती है कि छोटी-छोटी चीज़ों में अगर हम खुशियां ढूंढेंगे तो ज़िन्दगी काफी ख़ूबसूरत हो सकती है. इसके साथ-साथ यह फिल्म भाई बहन के रिश्ते के महत्व पर भी प्रकाश डालती है.

चिल्लर पार्टी (2011)

बच्चों के लिए बनाई गई यह फिल्म मनोरंजन के साथ-साथ बच्चों के हुनर को सलाम करती है. फिल्म बच्चों के जरिये आंतरिक स्तर पर होने वाली सियासत पर व्यंग्य कसती है और संवेदनशीलता का पाठ सिखाती है.

आई ऍम कलाम (2010)

पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. कलाम किसके प्रेरणास्त्रोत नहीं हैं? यह फिल्म कहानी है एक ऐसे बच्चे कि जो उनसे प्रेरणा लेकर अपना नाम कलाम रखता है और अपने आइडल से मिलने एवं जीवन में सफलता प्राप्त करने की इच्छा रखता है.

दिल्ली सफारी (2012)

निखिल अडवाणी द्वारा निर्देशित इस एनिमेटेड फिल्म में आवाज़ दी है उर्मिला मातोंडकर, सुनील शेट्टी, बोमन ईरानी एवं गोविंदा ने. फिल्म हास्य और मार्मिकता के साथ पर्यायवरण संबंधित मुद्दों पर प्रकाश डालती है.

स्टैनली का डब्बा (2011)

इस फिल्म के डायरेक्टर आमोल गुप्ते हैं जिन्होंने इसमें एक शिक्षक का रोल प्ले किया है. वे एक ऐसे शिक्षक हैं जिसे बच्चों का खाना खाना बहुत अच्छा लगता है. उनकी इसी आदत से सारा स्कूल तंग आ चुका है.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी