फिल्म समीक्षा: अनाड़ी

‘किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार, जीना इसी का नाम है’, मुकेश की आवाज़ में यह शैलेंद्र का गीतकाव्य अनाड़ी की एकदम उचित परिभाषा है. हृषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित 1959 में प्रदर्शित यह सिनेमा कहानी है एक सीधे-साधे और ईमानदार अनाड़ी की जो दुनिया के कपट से कोसों दूर है. जयवंत पठारे द्वारा फिल्मांकित इस ब्लैक एंड वाइट सिनेमा में नूतन, राज कपूर और ललिता पवार ने अपने दमदार अभिनय से रंग भरे हैं.

इन्दर राज आनंद के संवादों में पिरोया यह सिनेमा कहानी है राज कुमार (राज कपूर) की जिसे अपने सीधेपन और ईमानदारी के कारण काम नहीं मिलता. राजू के इस सीधेपन की वजह से उसकी मकान मालकिन मिस. डी’ सा (ललिता पवार) उसे मवाली और अनाड़ी कहती है, पर अंदर ही अंदर उसे अपने बच्चे जैसा प्यार करती है. वहीं आरती (नूतन) एक अमीर घराने की लड़की होने के बावजूद एकदम सरल है जिसे अमीर लोगो के ढोंग से सख्त नफरत है.

तक़दीर राजू और आरती को तब मिलाती है जब राजू नौकरी ढूंढने जा रहा होता हैं और आरती कॉलेज से भाग रही होती है. अपने भागने की घटना को छुपाने के लिए आरती राजू को एक गरीब नौकरानी होने का झूठ बोलती है, जो आगे कहानी में और इन दोनों के प्रेम में बहुत रोचक मोड़ लाता है.

आरती के चाचा, रामनाथ, दवाई बनाने का कारोबार करते हैं, जो गिरा हुआ बटुवा वापस देने पर राजू की ईमानदारी से बेहद खुश हो जाते हैं, और उसे अपने दफ्तर में नौकरी पर रख लेते हैं. सेठ रामनाथ को आरती और राज कुमार का रिश्ता मंजूर नहीं होता और वह आरती को अमीर और गरीब के बेमेल रिश्ते का पाठ पढ़ाते हैं, जिसे सुनकर आरती राज कुमार से प्यार न करने का नाटक करती है.

कहानी में एक और मोड़ तब आता है, जब रामनाथ की कंपनी की गलत दवाई खाकर मिस डी’ सा का देहांत हो जाता है. राज कुमार, जो मिस. डी’ सा को अपनी मां मानता था, रामनाथ पर केस कर देता है, गरीब और अमीर की लड़ाई में कौन कैसे जीतता है, यह जानने के लिए ज़रूर देखिएगा ‘अनाड़ी’.

कहानी के साथ-साथ यह सिनेमा आपको परिचित कराएगा अमीर द्वारा गरीब को समझने की दो सोच से. जहां एक ओर आरती, गरीब बनने का झूठा नाटक कर एक गरीब की सोच को समझ पा रही थी वहीं सेठ रामनाथ गरीब को सिर्फ ऊपर से देखकर दया भाव से समझते थे. समाज की बुराइयों में छुपे हुए अपने अंदर के अनाड़ी को ढूंढने के लिए जरूर देखें ‘अनाड़ी’.


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