क्या आप पुराने ज़माने के दो महानायक दिलीप कुमार और राज कपूर को एक ही सिनेमा में देखना चाहते हैं? तो 1949 में आई अंदाज़ देख लीजिए. नर्गिस की सादगी, राज कपूर के नटखटपन और दिलीप कुमार की संजीदगी से संजोए हुए इस सिनेमा में आप लता मंगेशकर और मुकेश की जोड़ी को भी सुन पाएंगे.
कहानी में मोड़ तब आता है जब नीना का प्यार राजन (राज कपूर), विदेश से पढ़ाई कर के वापस आता है. नीना और राजन शादी कर लेते हैं. उन दोनों का प्यार देखकर दिलीप को झटका लगता है और वह एक दिन नीना को सब बता देता है. नीना को दिलीप की कही हुई वह बात बहुत दुःख देती है क्योंकि उसने सिर्फ राजन को अपना प्रेम और भगवान माना है. नीना और राजन की बच्ची हो जाती हैं, जिसके बाद एक दिन गलती से नीना राजन को दिलीप समझ कर सब बोल देती हैं. अब राजन को नीना पे शक हो जाता हैं, यह शक नीना, राजन और दिलीप के रिश्ते एवं ज़िन्दगी को कितना बदल देगा यह देखने के लिए ज़रूर देखिए अंदाज़. कहानी में कुकू का ज़ोरदार नृत्य भी हैं जो आपका मन मोह लेगा. कहानी का अंत थोड़ा दुखदाई हैं और हो सकता हैं कि आप अंत से सहमत ना हों, पर अंत आपको सोचने के लिए मज़बूर करेगा.