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‘बिफोर सनराइज़’ क्लासिक रोमांटिक फिल्म है

बड़े सेट, मल्टी-स्टार व लंबी कहानियों से हट कर है ‘बिफोर सनराइज़’ सिनेमा. फिल्म में दो ही किरदार हैं जो यूरोप के एक शहर से ट्रेन में बैठ कर दूसरे शहर की यात्रा कर रहे होते हैं.

बिफोर सनराइज़ फिल्म की शुरुआत एक ट्रेन से होती है जिसमें दो अनजाने किरदार सफ़र कर रहे होते हैं, और उनकी मंजिल अलग-अलग शहर होती है.


अमेरिकन फिल्ममेकर रिचर्ड लिंकलेटर के डायरेक्शन में बनी ‘बिफोर सनराइज़’ की अभिनेत्री जूली डैल्पी ने गत दिनों खुलासा किया कि उन्हें इस हॉलीवुड फिल्म के लिए उनके साथी कलाकार एथन हॉक के मुकाबले काफी कम फीस मिली थी


बुडापेस्ट से जब ट्रेन चलती है तो एक को रास्ते में वियना में उतरना होता है, जबकि दूसरे का सफ़र पेरिस तक का होता है.

एक किरदार जो अमेरिकन है वह अपनी यूरोप यात्रा समाप्त करने वाला है जहां उसे सिर्फ निराशा ही मिलती है. लेकिन, तभी यूरोप में उसका अंतिम दिन आश्चर्यचकित करने वाला होता है.


गौरतलब है कि ऑस्कर यानी फिल्म अकादमी द्वारा ‘बिफोर सनराइज़’ को नज़रंदाज़ किया गया


एक अनजान सहयात्री से अनायास ही बात शुरू होती है और वे दोनों ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में ही उतर लेते हैं, जैसे कि कोई फक्कड़-घुम्क्कड़.

बिफोर सनराइज

अपने खाली समय को या मुसीबत के दिनों को, कैसे बेहतर बनाया जा सकता है और हर हाल में कैसे ख़ुशी ढूंढी जा सकती है, यही कहानी सुनाता है 1995 में प्रदर्शित हॉलीवुड सिनेमा ‘बिफोर सनराइज़’.

नए पुराने और बेहतर सिनेमा को ढूंढ कर अपने-अपने प्लेटफार्म पर नेटफ्लिक्स और अमेज़न प्राइम जैसे वेब फीचर्स लोगों को मनोरंजन के नए साधन उपलब्ध करा रहे हैं.


महलों, संग्रहालयों, बागों और कॉफी हाउसेज के लिए वियना आने वाले लोग इस शहर को बेहद रोमांटिक करार देते हैं, और इसमें कोई शक नहीं कि ‘बिफोर सनराइज़’ इस खूबसूरत लोकेशन पर शूट की गई एक बेहतरीन रोमांटिक फिल्म है


‘बिफोर सनराइज़’ देखना एक सुखद एहसास है, जिसमें ना किसी से मिलने की ख़ुशी है, न बिछड़ने का गम, और ना ही किसी का प्यार में पीछा करने का जुनून.

वर्तमान को बेहतर बनाना हमें सीखना होगा. अन्यथा हम भूत और भविष्य के खेल में उलझ कर रह जाएंगे. इसलिए भी ‘बिफोर सनराइज़’ देखना ज़रूरी है.

फिल्म का शीर्षक ही बहुत कुछ कहता है, और फिल्म की कहानी आपको बांध कर रखती है, जैसे ट्रेन में आप सीट-बेल्ट लगाए कोई सुंदर सपना देख रहे हों.


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