उच्चतम न्यायालय ने बांग्ला फिल्म ‘भविष्योत्तर भूत’ (भविष्य का भूत) के सार्वजनिक प्रदर्शन पर रोक लगाने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया.
न्यायमूर्ति डी.वी. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अनिक दत्ता के निर्देशन वाली बांग्ला फिल्म ‘भविष्योत्तर भूत’ का सभी सिनेमाघरों में प्रदर्शन रोकने के लिए राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भीड़ के भय से उसकी आवाज को दबाया नहीं जा सकता.
- कलाकारों की अभिव्यक्ति के अधिकार को बंधक नहीं बनाया जा सकता.
- राज्य अपने अधिकारों का मनमाने तरीके से इस्तेमाल कर खुद से असहमति जताने वालों की बोलने व अभिव्यक्ति की आजादी का ‘दमन’ नहीं कर सकता है.
न्यायालय ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई सरकार की ओर से संविधान में प्रदत्त अभिव्यक्ति की आजादी पर कुठाराघात है.
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि सरकार की ओर से की गई इस तरह की कार्रवाई गंभीर मसला है. कला और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हनन राज्य सरकार की ओर से असहिष्णुता का प्रतीक है.
पीठ ने कहा कि प्रदर्शन या भीड़ के डर से अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक नहीं लगाई जा सकती.
न्यायालय ने 11 अप्रैल को यह जुर्माना लगाया. बांग्ला फिल्म प्रतिबंधित करने को लेकर पश्चिम बंगाल की ममता सरकार पर जुर्माना लगाते हुए न्यायालय ने कहा कि ये 20 लाख रुपये निर्माताओं और सिनेमाघर मालिकों को दिए जाएंगे.
हाल ही में रिलीज़ हुई इस बांग्ला फिल्म को राजनीतिक वजहों के चलते पश्चिम बंगाल के सभी मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन थिएटर्स से हटवा दिया गया था.
फिल्म में बिना किसी राजनीतिक पार्टी का नाम लिए उसकी आलोचना की गई है.