हममें से अधिकांश लोग यह सोचते हैं कि फल खाना या फलों का जूस पीना दोनों ही एक समान लाभदायक है. लेकिन हम नहीं जानते कि एक पूरा साबूत फल खाना और फलों का जूस निकालकर पीना, यह दोनों ही अलग प्रक्रिया है और स्वास्थ्य की दृष्टि से इनके लाभों में बहुत अंतर है.
जब हम फलों का जूस निकालते हैं तो उसमें फाइबर कम रह जाते हैं. फाइबर डाइजेस्टीव सिस्टम के लिए जरूरी तत्व है. यह भोजन को पचाने में मदद करता है. जब हम साबूत फल खाते हैं तो उसमें भरपूर मात्रा में फाइबर मिलता है जो हमारे दैनिक आहार पोषण के लिए उचित मात्रा है.
एक साबूत फल फाइबर के कारण पचने में आधे घंटे का वक्त लेता है जबकि जूस में फाइबर अनुपस्थित होने के कारण यह तुरंत ही शरीर में अवशोषित हो जाता है और शुगर के रूप में बदलकर शरीर में स्टोर हो जाता है. छोटे बच्चों में मोटापे का कारण अधिक मात्रा में फ्रूट जूस पीना भी है.
लाइफ स्टाइल कंसल्टेंट नैनी सेतलवद के अनुसार 250 एमएल फ्रूट जूस में 10 चम्मच चीनी के बराबर शुगर होता है. ब्रिटिश मेडिकल जनरल के अनुसार जो लोग साबूत फल खाना पसंद करते हैं उनकी अपेक्षा जो लोग फ्रूट जूस अधिक पीते हैं, उनमें डाइबिटीज का खतरा अधिक होता है.
250 एमएल फ्रूट जूस निकालने में 6-7 फ्रूटस लगते हैं. क्योंकि इसमे फाइबर नहीं होता इसलिए एक गिलास पीने के बाद भी हमारा पेट नहीं भरता और कुछ खाने की इच्छा रहती है. इसके बजाय एक या दो फल खाकर ही हमारा पेट भर जाता है और कुछ खाने की इच्छा नहीं रहती.