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मलेरिया से रहें सावधान, मसुरिका करे समस्या का निदान

मनुष्य क्या कुछ नहीं कर सकता. हम आज मंगल गृह पर पहुंच चुके हैं. अब तो हम जन्म और मृत्यु को भी अपने अनुसार चलाने की कोशिश करते हैं. लाज़मी है कि हमें अपनी शक्तियों पर गर्व महसूस होता है.

लेकिन समय-समय पर प्रकृति हमारे अभिमान के गुब्बारे में पिन भी चुभोती रहती है और हमें सच्चाई का आइना जल्द ही दिख जाता है – चाहे वो मच्छर (mosquito) के ज़रिये हो या फिर किसी कोरोना वायरस के द्वारा.

सातवीं शताब्दी में ग्रीक और रोमन सभ्यताओं के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ. जो सेना विश्व को जीत चुकी थी वो एक भयानक बीमारी से हार गई. यही बीमारी इन साम्राज्यों की कमज़ोरी का मुख्य कारण भी बनी. और ये सब हुआ मच्छरों की वजह से – एक मच्छर इंसान को क्या से क्या बना देता है!

आज इक्कीसवीं सदी में भी हम इस भयंकर रोग से निदान नहीं पा सके हैं. हर साल 25 अप्रैल को मनाया जाने वाला विश्व मलेरिया दिवस (World Malaria Day) एक अंतरराष्ट्रीय अभियान है जो मलेरिया को नियंत्रित करने के वैश्विक प्रयासों को मान्यता देता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में मलेरिया से मरने वाले लोगों की संख्या हर साल लगभग 5,30,000 है जिसमे से अधिकतर मासूम बच्चे होते हैं.

प्लासमोडियम विवक्स नाम के मच्छर में पाया जाने वाला ये परजीवी करोड़ों जानें ले चुका है. सबसे ख़तरनाक बात तो यह है कि यह मच्छर अपने आपको जेनेटिकली मॉडिफाई करने में सक्षम है जिसकी वजह से कई बार दवाई (medicines) असर करना बंद कर देती है.

मलेरिया आज भी एक जानलेवा बीमारी (disease) है जिससे सारा विश्व त्रस्त है. यह एक वाहक-जनित संक्रामक रोग है जो प्रोटोज़ोआ परजीवी द्वारा फैलता है. यह मुख्य रूप से अमेरिका, एशिया और अफ्रीका महाद्वीपों के उष्ण तथा उपोष्ण कटिबंधी क्षेत्रों में फैला हुआ है. प्रत्येक वर्ष यह 52.5 करोड़ लोगों को प्रभावित करता है तथा 20 से 30 लाख लोगों की मृत्यु का कारण बनता है जिनमें से अधिकतर उप-सहारा अफ्रीका के युवा बच्चे होते हैं.

मलेरिया के फैलाव को रोकने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं. मच्छरदानी और कीड़े भगाने वाली दवाएं मच्छर काटने से बचाती हैं, तो कीटनाशक दवा के छिड़काव तथा स्थिर जल (जिस पर मच्छर अंडे देते हैं) की निकासी से मच्छरों को नियंत्रित किया जा सकता है.


दुनिया के कितने सारे लोग बीमारियां के बारे कितना कुछ जानते हैं लेकिन बीमारियां कैसे फैलती हैं और कैसे महामारी बन जाती हैं, उनकी भनक तक नहीं लग पाती. जब तक पता चलता है तब तक लाखों जानें चली जाती हैं.


मलेरिया की रोकथाम के लिए टीके-वैक्सीन पर शोध जारी है, लेकिन अभी तक कुछ खास उपलब्धियां हासिल नहीं हो पाई हैं. मलेरिया से बचने के लिए निरोधक दवाएं लम्बे समय तक लेनी पड़ती हैं और इतनी महंगी होती हैं कि हर कोई उन्हें खरीद नहीं पाता. मलेरिया प्रभावित इलाके में ज्यादातर वयस्क लोगों मे बार-बार मलेरिया होने की प्रवृत्ति होती है. इस भयानक बीमारी का इलाज बहुत लम्बा तथा कष्टदाई होता है.

ऐसे में यह कहना गौरतलब है कि बचाव ही निदान है. मलेरिया से बचने का सबसे सरल उपाए मछरों से खुद को बचाना ही है.

बाजार में उपलब्ध मच्छर विकर्षकों (repellant) में अक्सर डीईईटी नामक केमिकल (chemical) का इस्तेमाल होता है, जिससे मच्छर मरते हैं. अब ज़रा सोचिए अगर कोई रसायन एक कीट को मार रहा है, तो कितना स्वाभाविक है कि इस रसायन के दीर्घकालिक संपर्क में आने से इंसानों के शरीर पर भी असर होगा ही.

ऐसे में धृति राइना एग्रो द्वारा निर्मित मसुरिका (Masurika) एक आयुर्वेदिक रामबाण की तरह काम करता है और इसका कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होता.

मसुरिका एक हर्बल (herbal) मच्छर विकर्षक है जो मच्छरों को मारता नहीं बल्कि उन्हें दूर भगाता है. मसूरिका एरोमा थेरेपी यानी सुगंध चिकित्सा के सिद्धान्त पर काम करता है. यह ऐसे कुछ तत्वों का मिश्रण है जिसकी सुगंध मच्छरों और मक्खियों को पसंद नहीं आती परन्तु मनुष्यों को सुखद और ताज़ा लगती है.

मसुरिका दो रूपों में उपलब्ध है- मसुरिका कंसन्ट्रेट एवं मसुरिका मॉस्क्वीटो रेपेलेंट ऑयल.

➡ 8 से 10 बूंद मसुरिका कंसन्ट्रेट को थोड़े से पानी के साथ ऑयल डिफ्यूज़र में मिलाएं. मच्छरों के भारी संक्रमण के मामले में बूंदों की संख्या बढ़ा सकते हैं.

➡ मसुरिका मॉस्क्वीटो रेपेलेंट ऑयल को आप अपनी त्वचा पर स्प्रे कर सकते हैं जिससे मच्छर आपके आस पास भी नहीं आएंगें.

यह औषधियां त्वचा तथा शरीर के लिए सम्पूर्ण रूप से सुरक्षित हैं खास कर उन लोगों के लिए जिन्हें कठोर रसायनों से एलर्जी हो सकती है. यह प्राकृतिक उत्पाद शत प्रतिशत केमिकल फ्री, पैराबेन फ्री और क्रुएलिटी फ्री है.

मसुरिका के रहते आपके घर एवं वर्क स्पेस में सिर्फ खुशियां रहेंगी, मच्छर नहीं.


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