वे पांचों तो तब ही मार दिए गए थे परंतु आज 12 साल बाद 9 फरवरी 2013 को अफजल को उसके अपराध की सजा दी गयी. संसद पर अचानक हुए इस हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था.
दिल्ली के तिहाड़ जेल में उसे फांसी पर लटकाया गया. अब देखना यह है कि सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी इसे अपनी उपलब्धि बतलाती है या विपक्षी भाजपा देर से लिया गया एक और फैसला. यह मसला 2014 के लोक सभा चुनाव में एक मुद्दा बनेगा क्या ! इस घटना के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने की बातों का क्या होगा !
मुंबई आतंकी हमले के दोषी अजमल आमिर कसाब के बाद अफजल को जेल में गुपचुप तरीके से फांसी देना चर्चा का विषय तो बनता ही है. अफजल को भी जेल में ही अज्ञात जगह पर दफनाया गया है.
43-वर्षीय अफज़ल को 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, हालांकि 2006 में उसे दी जाने वाली फांसी उस समय स्थगित हो गई, जब उसकी पत्नी तब्बसुम ने उसकी ओर से दया याचिका दायर कर दी.
3 फरवरी को राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी ने वह दया याचिका खारिज की. 4 फरवरी को गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने फांसी की मंजूरी देते हुए फाइल पर दस्तखत किए.
केंद्रीय गृह सचिव आर.के. सिंह के अनुसार अफजल को फांसी दिए जाने के साथ ही वर्ष 2001 में संसद पर हमले के मामले की कार्यवाही एक तार्किक परिणाम तक पहुंच गई है. उन्होंने कहा, ‘कानून और न्याय ने अपना काम किया.’
जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी अफजल गुरु जम्मू-कश्मीर के बारामूला का रहने वाला था.
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के कहा कि “गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने मुझे कल (शुक्रवार को) रात 8 बजे यह बता दिया था कि आज (शनिवार को) फांसी दे दी जाएगी. मैं राज्य के निवासियों से शांति की अपील करता हूँ. मैं मीडिया से भी गुजारिश करता हूँ कि अफवाहों के आधार पर खबरें ना दिखाएं.”