मुझे मार रहे हैं. नवरात्र में शक्ति की प्रतिक काशी हिंदू विश्वविद्यालय यानी बीएचयू की ‘दुर्गा’ बेटियों पर आधी रात लाठियां बरसाई गईं, तो उनकी ये चीख-पुकार दुनिया ने सुनीं.
शिक्षाविद रवि चमोली कहते हैं, उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार है, केंद्र में भी बीजेपी की सरकार है. आप कहीं भूले तो नहीं कि यह पार्टी चुनाव से पहले कहती थी कि पाकिस्तान के घर में घुस कर मारेंगे. तो अब चुनाव के बाद हॉस्टल में घुसकर लड़कियों को क्यों मार रहे हैं?
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी सहित अन्य विपक्षी दलों ने बनारस हिन्दू विश्विद्यालय में लड़कियों पर हुई बर्बरता को आजाद भारत के इतिहास की बड़ी अमानवीय घटना बताया.
उनके आरोपों का जवाब देते हुए राज्य के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या का कहना है कि विपक्ष बेतुकी बयानबाजी कर रहा है. दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
उनके अनुसार राजनीतिक रोटियां सेंकने की इजाजत किसी को नहीं दी जाएगी, और ना ही बीएचयू को राजनीति का अखाड़ा बनने दिया जाएगा.
आगामी 27 नवंबर को अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा करने जा रहे कुलपति प्रो. त्रिपाठी ने पद से हटने की विपक्ष की मांग खारिज कर दी है. वे कहते हैं, “इस घटना को बाहरी लोगों द्वारा अंजाम दिया गया. छात्राओं पर लाठीचार्ज नहीं हुआ.”
लेकिन, बीएचयू परिसर की महिला महाविद्यालय की छात्राओं की मानें तो लाठीचार्ज की घटना से इनकार करने वाला कुलपति का बयान शर्मनाक है.
उनका कहना है कि ‘बेटी-बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा देने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कुलपति प्रो. त्रिपाठी को बर्खास्त करवाने और दोषी पुलिसकर्मियों एवं अधिकारियों को गिरफ्तार करवाने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए.
हालांकि, घटना की नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर प्रो. ओ.एन.सिंह ने इस्तीफा दे दिया है जिसके बाद उनकी जगह प्रो. रोयाना सिंह ने ली है.
ज्ञात हो कि बीएचयू परिसर में 21 सितंबर की शाम एक छात्रा से छेड़छाड़ की घटना ने पहले तो दबी चिंगारी को हवा दी थी जिसके अगले दिन सुरक्षा की मांग को लेकर सुबह से ही बड़ी संख्या में छात्राएं धरना-प्रदर्शन करने लग गई थीं.
इस परिपेक्ष्य में अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दो-दिवसीय दौरे पर आए प्रधानमंत्री मोदी का पूर्व निर्धारित यात्रा मार्ग बदल दिया गया, लेकिन कुलपति ने छात्राओं से वार्ता करने की मांग को मुनासिब नहीं समझा.
मोदी के साथ उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दो-दिवसीय दौरा 23 सितंबर की दोपहर समाप्त होने के बाद उसी रात विश्विद्यालय में तोड़फोड़, पथराव और आगजनी की घटनाएं हुईं.
सवाल उठता है कि अगर विश्वविद्यालय प्रशासन समय रहते छात्राओं की शिकायत पर अमल करता तो क्या ये मामला इस कदर बढ़ता?
जिला प्रशासन भी अगर आंदोलनकारियों को नियंत्रित करने में संयम बरतता, तो क्या यह अंजाम देखने को मिलता?
घटना के अगले दिन 24 सितंबर को एक हजार अज्ञात लोगों के खिलाफ स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई और अपराध शाखा अलग-अलग पहलुओं से मामले की जांच मे जुट गई.
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय या बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (आम तौर पर बीएचयू) वाराणसी में स्थित केन्द्रीय विश्वविद्यालय है.
बनारस हिन्दू विश्विद्यालय के अलावा उत्तर प्रदेश के ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं लखनऊ विश्वविद्यालय से भी छेड़-छाड़ की घटनाएं आती रहती हैं.
क्या यही हैं अच्छे दिन, कि लड़कियों को मारा जा रहा है? बनारस तो प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र है. फिर भी बनारस में ये हालात देखने को मिल रहे हैं. बाहर के क्षेत्रों का क्या हाल होगा?
और तो और, यह दावा करने वाली बीजेपी कि इसकी वजह से मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से मुक्ति मिली, क्या यह बताएगी कि किसकी वजह से लड़कियों पर लाठियां पड़ीं?
– रेखा कुमारी