यह 10 जनपथ समर्पित परिवार है. 1991 से ही. पर मामला अब आस्था और सुरक्षा के बीच अटक सा रहा है.
पहले सब ठीक-ठाक था. यह परिवार हर वर्ष गंगोत्री से दिल्ली की यात्रा कर 10 जनपथ पहुंच, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को गंगाजल भेंट करता था. साथ में उत्तराखंड के सैकड़ों कांग्रेसी कार्यकर्ता निःस्वार्थ चलते होते थे. औरत, बच्चे, बुजुर्ग, जवान, सभी.
मौका होता था राजीव गांधी का जन्म दिवस 20 अगस्त. दरअसल राजीव गांधी की हत्या ने उत्तराखंड के इस परिवार को झकझोर कर रख दिया था. तब से ही यह परिवार अपने मुखिया कमल शर्मा के नेतृत्व में हर वर्ष इस तिथि को गंगोत्री से दो कलश गंगाजल लेकर दिल्ली पहुंचता था – एक कलश गंगाजल का छिड़काव राजीव गांधी समाधी स्थल ‘वीर भूमि’ पर किया जाता था और एक कलश पवित्र जल सोनिया गांधी को भेंट किया जाता था. सब एक भावनात्मक जुड़ाव के कारण. एक सच्चे समर्पण के कारण.
आज स्थिति बदल गई है. उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल से कमल शर्मा अब 17 अगस्त को गंगोत्री के लिए रवाना जरूर होते हैं. वहां से दो कलश गंगाजल लेकर फिर 19 अगस्त देर रात तक दिल्ली पहुंचते भी हैं. पर अगले दिन यानी राजीव गांधी जन्मदिवस पर वीर भूमि में इन्हें हमेशा की तरह गंगाजल छिड़कने के लिए सुबह के बदले सभी वीआईपीओं के प्रस्थान करने तक इंतज़ार करना पड़ता है. उसके उपरान्त ही इन्हें गंगाजल लेकर समाधी तक जाने की इजाजत मिलती है. तब तक गंगाजल अन्यत्र ही रखना पड़ता है. फिर हमेशा की तरह जब वह दूसरे कलश को सोनिया गांधी के हाथों में देने के लिए 10 जनपथ कूच करते हैं तो उनकी आस्था की वजह से उन्हें अब तकलीफों का सामना करना पड़ता है. सोनिया गांधी की सेक्युरिटी में तैनात एस.पी.जी. गार्ड्स उन्हें गंगाजल लेकर अंदर नहीं जाने देते. कमल उनसे कहते भी हैं, गंगाजल की जांच कर लो पर वहां उनके मर्म को शायद अब कोई नहीं समझता.
पूछने पर कमल की आंखों में आंसू आ जाते हैं. “बस पिछले चार सालों से ऐसा हो रहा है. हम मैडम तक अपने हाथों से गंगाजल पहुंचा नहीं पा रहे हैं. इसका हमें बहुत दुख है. अब हम मन मसोस कर रह जाते हैं. हम उस स्वतंत्रता सेनानी परिवार से आते हैं जिसने आजादी के बाद सरकारी पेंशन भी नहीं लिया. हमारे नसों में कांग्रेस है. इंदिरा जी की हत्या हुई तो हम अनाथ हो गए. राजीव जी की मौत ने हमें सुन्न कर दिया. बस जो साल भर कमाते हैं उनके जन्मदिवस पर खर्च कर देते हैं.”
“हमने ‘राजीव गांधी सद्भावना यात्रा’ का गठन किया हुआ है. इसकी संयोजक सोनिया जी ही हैं. अध्यक्ष ज्योत सिंह हैं. मैं सहसंयोजक हूँ. हमने प्रण किया हुआ है कि हर साल हम अपनी श्रद्धा विशेष रूप से व्यक्त करेंगे ही करेंगे. इसके लिए हम कई कठिनाइयां उठाते हैं, पैदल चलते हैं. मेरे दोनों बेटे — पृथ्वी और आकाश — भी शुरू से ही इस यात्रा में मेरे साथ होते हैं. पूरा एक जत्था इकट्ठा होकर दिल्ली पहुंचता है. और अब अगर यहां आकर कोई जिल्लत दे, तो रोना आता है. बर्दाश्त नहीं होता. क्या करें, दिल से जुड़े हैं. तन-मन-धन सब अर्पित किया है 10 जनपथ को.”
“जब हमारी यात्रा गंगोत्री से गंगाजल लेकर चलती है तो अपार हर्ष की अनुभूति होती है. और क्यों ना हो. एक परंपरा का निर्वाह जो करता हूँ. एक सशक्त राजनैतिक दल का समर्पित सिपाही हूँ. हर वर्ष पूरे विश्वास के साथ दिल्ली पहुंचता हूँ. 10 जनपथ में पैर रखने को भी मिल जाता है तो लगता है घर के दर्शन हो गए. 10 जनपथ की मंगलकामना ही हमारा धर्म है. मैं सेवादल का प्रवक्ता रहा हूँ. उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी का सचिव एवं सहायक प्रवक्ता रहा हूँ. परंतु जो सेवा गंगाजल पहुंचाने में होती है वह और कहां.”
शायद कमल को फायदे लेने के तरीके नहीं आते. 10 जनपथ से बहुतों का कल्याण हुआ है, हो रहा है. पर कमल की भावना मात्र को भी अस्वीकार किया जा रहा है.