रस्म तो अदा हो गई है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो अप्रैल को जम्मू-कश्मीर राजमार्ग पर भारत की सबसे लंबी सड़क सुरंग का उद्घाटन करने के बाद अपने भाषण में इसे कश्मीर की तक़दीर बदलने वाली सुरंग भी कह दी है. लेकिन, पूरा भारत जहां इस सुरंग का इस्तेमाल कर कश्मीर जल्दी पहुंच सकता है, सुरंग के उस पार से कश्मीर की आबादी इस पार कब आएगी, यह देखना महत्वपूर्ण है.
उद्घाटन के दौरान मोदी का यह कहना कि अब ये कश्मीरी नौजवानों पर है कि वो या तो टेररिज़्म का रास्ता चुनें या टूरिज़्म का, थोड़ा निराश करता है. इस बयान पर कश्मीर के आम लोगों, राजनीतिक दलों और अलगाववादियों की भी मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है.
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग के ख़ुर्शीद अहमद ने बीबीसी को बताया कि “सुरंग बनाना अच्छी बात है, लेकिन मैं पूछना चाहता हूँ कि कश्मीर में आतंक कौन फैला रहा है?”
इसमें दो मत नहीं कि इस सुरंग से जम्मू-श्रीनगर का सफर आसान होगा, व्यापार बढ़ेगा, कश्मीर आने वाले पर्यटकों को आसानी होगी, पर असल फायदा तो कश्मीरी नौजवानों का दिल जीतने से होगा.
फिलहाल, कश्मीर के उम्दा सेब भी पाकिस्तान चले जाते हैं. इस सुरंग की सफलता तब साबित होगी जब इस रास्ते कश्मीर के सेबों को देश के कोने-कोने में भेजा जा सकेगा. यह जानना-बताना भी जरूरी होगा कि इस सुरंग से रोजगार की कितनी संभावनाएं पैदा हो रही हैं.
सुरंग से जुड़ी पांच अहम बातें:
1.इस सुरंग से चेनानी और नाश्री के बीच की दूरी 41 किलोमीटर के बजाय 10.9 किलोमीटर हो गई है.
2.यह सुरंग जम्मू-कश्मीर की रीढ़ साबित हो सकती है क्योंकि इससे प्रदेश को राजस्व बढ़ाने में मदद मिलेगी.
3.विश्व मानक के अनुरूप इस सुरंग का निर्माण हुआ है.
4.यह सुरंग हर मौसम में एक बढ़िया विकल्प साबित होगी, ख़ासकर बर्फबारी और बारिश के कारण जब सड़कें बंद हो जाती हैं.
5.सुरंग का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह भी कहा कि ये जम्मू और श्रीनगर को दूरी कम करने वाली सिर्फ लंबी सुरंग नहीं है. “ये लंबी सुरंग जम्मू-कश्मीर के लिए विकास की एक लंबी छलांग है, ऐसा मैं साफ देख रहा हूँ.”