नोबेल पुरस्कार पूरे विश्व का सर्वोच्च एवं सर्वाधिक प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है जिसे गत शताब्दी की शुरुआत में प्रारंभ किया गया था.
इस सम्मान को नोबेल फाउंडेशन की तरफ से स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में शुरू किया गया.
यह पुरस्कार सर्वप्रथम 1901 में दिया गया और यह साहित्य, शांति, भौतिकी, रसायन, अर्थशास्त्र और चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में दिया जाता है.
इन सभी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए अब तक दस भारतीय नागरिक को इस पुरस्कार से नवाज़ा जा चुका है.
अमर्त्य सेन के बाद अभिजीत बनर्जी ऐसे दूसरे भारतीय मूल के अर्थशास्त्री हैं जिन्हें अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला है
रविंद्रनाथ टैगोर को 1913 में साहित्य के क्षेत्र में नोबेल से सम्मानित किया गया और वह यह सम्मान प्राप्त करने वाले भारत और एशिया के सर्वप्रथम नागरिक रहे. उन्हें उनकी काव्य रचना गीतांजलि के लिए यह सम्मान दिया गया था.
चंद्रशेखर वेंकटरमन जिन्हें 1930 में भौतिकी के क्षेत्र में इससे पुरस्कृत किया गया था, उन्होंने अनुसंधान करके यह खोज किया था कि जब प्रकाश किसी पारदर्शी माध्यम से गुजरता है तो उसकी वेवलेंथ बदल जाती है, जिसे रमन इफ़ेक्ट कहा जाता है.
चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में अद्वितीय कार्य के लिए हरगोबिंद खुराना को 1968 में नोबेल पुरस्कार मिला.
1979 में मदर टेरेसा को यह सम्मान शांति के क्षेत्र में समाज कल्याण के लिए कार्यरत रहने के लिए दिया गया. संत टेरेसा का जन्म अल्बानिया में हुआ था. 1928 में वह आयरलैंड की संस्था सिस्टर्स ऑफ लोरेटो में शामिल हुईं और मिशनरी बनकर 1929 में कोलकाता आ गईं. उन्होंने बेसहारा और बेघर लोगो की खूब मदद की. गरीब और बीमार लोगों की सेवा के लिए उन्होंने मिशनरीज ऑफ चैरिटी नाम की संस्था बनाई और कुष्ठ रोगियों, नशीले पदार्थों की लत के शिकार बने लोगों और दीन-दुखियों के लिए निर्मल हृदय नाम की संस्था बनाई. यह संस्था उनकी गतिविधियों का केंद्र बनी.
विश्व का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार नोबेल प्राइज अब तक दस भारतीयों को मिल चुका है, जिन्होंने संपूर्ण विश्व में भारत के सम्मान, गौरव एवं प्रतिष्ठा की वृद्धि की है
सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर 1983 में भौतिक शास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पांचवे भारतीय रहे, जिन्होंने ब्रह्मांड की उत्पत्ति के विषय में अपने सिद्धांत प्रस्तुत किए.
वर्ष 1998 में अमर्त्य सेन को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में यह पुरस्कार अकाल में भोजन व्यवस्था करने के सिद्धांत के ऊपर अनुसंधान करने के लिए प्राप्त हुआ.
2001 में त्रिनिदाद में जन्मे भारतीय मूल के प्रवासी भारतीय लेखक वी.एस. नायपॉल को साहित्य में अपने अद्भुत योगदान एवं उम्दा रचनाओं के लिए नोबेल दिया गया.
अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के वैज्ञानिक वेंकटरमण रामकृष्णन को रसायन क्षेत्र में यह सर्वश्रेष्ठ पुरूस्कार वर्ष 2009 में दिया गया उन्हें. यह सम्मान इजरायली महिला वैज्ञानिक अदा योनोथ और अमेरिकी वैज्ञानिक थॉमस एस्टेट्ज के साथ संयुक्त रूप से, राइबोजोम पर अनुसंधान करने के लिए दिया गया.
कैलाश सत्यार्थी को शांति क्षेत्र में उनके बाल अधिकारों के समाज कल्याण कार्य एवं बाल श्रम के विरुद्ध लड़ने के लिए यह गौरव प्राप्त हुआ. उन्होंने बचपन बचाओ आंदोलन की स्थापना की, जिससे उन्होंने भारत के ही नहीं बल्कि समूचे विश्व भर के हज़ारों बच्चों के अधिकारों के लिए समाज कार्य किया और यह पुरूस्कार उन्हें पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई के साथ संयुक्त रूप से 2014 में दिया गया.
मुबंई में पैदा हुए अभिजीत बनर्जी 10वें भारतीय बने, जिन्हें गरीबी हटाने की दिशा में काम करने के लिए साल 2019 में नोबेल पुरस्कार मिला है. उनके साथ उनकी पत्नी को भी यह खिताब दिया गया है. साल 1961 में पैदा हुए बनर्जी ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से पढ़ाई की और फिर जेएनयू गए. उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से साल 1988 में पीएचडी की.