पुलवामा में 40 से अधिक जवानों का आतंकी हमले में मारा जाना कश्मीर की अब तक की सबसे दिल दहलाने वाली घटना है. इस हमले के बाद भारत में मन:स्थिति और माहौल दुख के साथ आक्रोश से भर गया है.
यह हमला सिर्फ एक आतंकी साजिश नहीं बल्कि देश के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है. हालांकि 14 फ़रवरी को अंजाम दिया गया यह हमला पहला मौका नहीं जब भारतीय सैनिकों ने अपने ही देश के किसी भाग में गृह युद्ध जैसी स्थिति के दौरान अपने प्राणों की आहुति दी है.
अप्रैल 2010 में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हुए थे.
पुलवामा में यह हमला तब हुआ जब केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) का एक काफिला जम्मू से कश्मीर जा रहा था.
पाकिस्तान में फल-फूल रहे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की ज़िम्मेदारी क़ुबूल करते हुए कहा है कि पुलवामा के ही निवासी 20 वर्षीय आदिल अहमद डार ने ये आत्मघाती हमला किया.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए देश को विश्वास दिलाया है कि जिन सपनों को ले करके सैनिकों ने जीवन को आहुत किया है, “उन सपनों को पूरा करने के लिए हम जीवन का पल-पल खपा देंगे.”
“एक तरफ देश गुस्से में है, तो दूसरी तरफ हर आंख नम है. जिन्होंने अपना सर्वस्व न्योच्छावर कर दिया, उनके परिवार के साथ हम हमेशा खड़े रहें. ये संयम का, संवेदनशीलता का, शोक का समय है. लेकिन, हर परिवार को मैं ये भरोसा देता हूं आपकी आंखों में जो आंसू हैं उन आंसूओं का पूरा जवाब लिया जाएगा.”
प्रधानमंत्री ने कहा कि पुलवामा आतंकी हमले के दोषियों को सजा दी जाएगी. उन्होंने हमले के दोषियों और आतंकियों को मदद करने और उन्हें उकसाने वालों को चेतावनी देते हुए कहा कि उन लोगों ने बहुत बड़ी गलती की है और उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी होगी.
सुरक्षाबलों को कार्रवाई करने के लिए पूरी छूट
प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि वह इस भ्रम में न रहे कि वह भारत को अस्थिर कर सकता है.
इस हमले की वजह से देश में जितना आक्रोश है, लोगों का खून खोल रहा है; ये सभी भलीभांति समझ पा रहे हैं. इस समय सरकार से देश की अपेक्षाएं भी बढ़ गई हैं.
जगह-जगह मोर्चा निकालकर नागरिक यह बता रहे हैं कि उन सभी में कुछ कर गुजरने की भावनाएं हैं. यह स्वाभाविक भी हैं. देशभक्ति के रंग में रंगे लोग आतंक को कुचलने की लड़ाई तेज करना चाहते हैं.
आतंकी संगठनों को और उनके सरपरस्तों ने बार-बार भारत में अस्थिरता का माहौल बनाने की कोशिश की है, गृह युद्ध जैसी राजनीतिक व सैनिक परिस्थितियां पैदा की हैं. आए दिन सामान्य नागरिक व सैनिक बल मारे जाते रहे हैं.
लेकिन, पुलवामा की ताज़ा घटना के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि “वे बहुत बड़ी गलती कर चुके हैं, बहुत बड़ी कीमत उनको चुकानी पड़ेगी. आतंक से लड़ने के लिए जब सभी देश एकमत, एक स्वर, एक दिशा से चलेंगे तो आतंकवादक कुछ पल से ज्यादा नहीं टिक सकता है.”
“मैं देश को भरोसा देता हूं कि हमले के पीछे जो ताकते हैं, इस हमले के पीछे जो भी गुनहगार हैं, उन्हें उनके किए की सजा अवश्य मिलेगी. जो हमारी आलोचना कर रहे हैं, उनकी भावनाओं का भी मैं आदर करता हूं, उन्हें आलोचना करने का उनका पूरा अधिकार भी है.”
इस बीच गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकवादी हमले के मद्देनजर जम्मू कश्मीर के वास्तविक हालात का जायजा लेने के लिए श्रीनगर का दौरा किया है.
यह बताते हुए कि केवल मुट्ठी भर गुमराह नौजवानों ने सीमापार बैठे लोगों से आतंकवाद फैलाने के नापाक मंसूबे के लिए हाथ मिलाया है. गृह मंत्री ने कहा कि “ऐसे तत्व जम्मू कश्मीर की जनता के दुश्मन हैं.”
गृह मंत्री ने पुलवामा हमले के मद्देनजर संसद के दोनों सदनों में राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ नई दिल्ली में हुई एक बैठक की अध्यक्षता भी की. इस दौरान उन्होंने बताया कि सरकार ने सैन्य बलों को आतंकियों और मुजरिमों पर कार्रवाई करने की खुली छूट दी है.
अब सवाल यह उठता है कि क्या आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति वास्तव में अपनाई जाएगी या फिर दूसरे आतंकी हमले होने का फिर एक और इंतज़ार किया जाएगा, ताकि हम फिर से आग-बबूला हो सकें, अपना गुस्सा किसी-न-किसी पर निकाल सकें.
ज्ञात हो कि भारत पिछले तीन दशकों से सीमा-पार आतंकवाद का सामना कर रहा है. हाल के वर्षों में भारत में आतंकवाद को सीमा-पार की ताकतों द्वारा सक्रिय रूप से समर्थन दिया जाता रहा है. भारत ने इन चुनौतियों से निपटने में सुदृढ़ता और लचीलापन दोनों का ही प्रदर्शन किया है.