विशुद्ध रुप से मम्मियों के क्लब के कांसेप्ट को साकार किया है रुचिता दर शाह ने. पेशे से एडवरटाइजिंग प्रोफेशनल रहीं रूचिता ने जो मम्मियों का एक क्लब बनाया है वो एक पापुलर किटी पार्टी की चिल्ल-पौं से अलग एक दुनिया बनाती है. यहां मम्मियों को अपने होने का मतलब पता चलता है. यह एक ऑनलाइन प्लेटफार्म हैं जहां सभी मम्मियां बेहिचक अपना अनुभव शेयर कर सकती हैं. www.firstmomsclub.in वेबसाइट पर विस्तार से जानकारी उपलब्ध है. भारत बोलेगा के लिए पूजा रैना ने उनसे जानना चाहा कि क्या है यह नया कांसेप्ट.
मॉम्स क्लब क्या है? इसे कब, कैसे और कहां शुरू किया गया?
मैंनें 2010 में ‘फर्स्ट मॉम्स क्लब’ की शुरुआत अपने मम्मी दोस्तों से जुड़ने के लिए किया था. फिर मैंने फेसबुक पर एक अलग फेसबुक पेज बनाया और ग्रुप बना कर कई मम्मियों को इससे जोड़ा. यह सच है कि हममें से कई हाउसवाइफ हैं, कई जॉब करती हैं, प्रोफेशनल हैं और आंत्रप्रेनर हैं. लेकिन हम सब में एक चीज कॉमन है – हम मां हैं. पिछले पांच सालों के अंदर इस क्लब की मेंबरशिप में जबरदस्त इजाफा हुआ है. 35 हजार की विशाल मेंबरशिप के साथ फर्स्ट मॉम्स क्लब (एफएमसी) हर मम्मी में छिपे औरत को बाहर निकालने का काम कर रहा है. दरअसल यह क्लब उन्हीं मां के लिए समर्पित है जिन मां के पीछे एक औरत छिपी हुई होती है.
अब तक के सफर में सबसे अच्छी बात क्या रही?
एफएमसी के पांच साल के सफर में कई समान विचारधारा की महिलाओं और महिला उधमियों से जुड़ने का मौका मिला. कई नए आइडियाज हमने आपस में शेयर किए. हमने इस कॉमन प्लेटफार्म पर यह भी सीखा कि हम औरतों को अगर अपने पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में आगे बढ़ना है तो अकेले नहीं बढ सकते, एक-दूसरे की मदद लेनी ही होगी. मुझे गर्व है कि मैंने औरतों को एक ऐसा साझा प्लेटफार्म मुहैया कराया है जहां वह एक-दूसरे से जुड़ सकती हैं. अपने विचार शेयर कर सकती हैं और जीवन में कुछ सकारात्मक और नया करने की सोच विकसित कर सकती हैं.
यह किसी लेडीज किटी या क्लब से कैसे अलग है?
फर्स्ट मॉम्स क्लब एक ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफार्म है. पहले यह एक एफबी ग्रुप था. फिर पेज बनाया गया और फिर उसके बाद वेबसाइट आया, इंस्टाग्राम पर भी अकाउंट है और अब हमने अपना मोबाइल ऐप भी बना लिया है. एंड्रायड और आइफोन दोनों ही ऑपरेटिंग सिस्टम वाले मोबाइल में यह ऐप इंस्टॉल हो सकता है. खास बात यह है कि इस कल्ब के मेंबर बनने के लिए कोई मेंबरशिप फी नहीं लगती है, ना ही कोई हमारी मंथली गेट टू-गेदर होती है. एक आम किटी पार्टी की तरह यहां कोई चिल्ल-पौं नहीं है. यहां कोई बड़ा-छोटा नहीं है. यहां सभी मेंबर को बराबर का दर्जा मिला हुआ है. यह क्लब पूरी तरह से एक लोकतांत्रिक डिजिटल प्लेटफार्म है और यहां सभी को बोलने की आज़ादी है. इस क्लब के ऐप से कोई जुड़ सकता है जो एफबी के एफएमसी ग्रुप का मेंबर है.
हैप्पीनेस इंडेक्स में भारत कितने पीछे खड़ा है. मॉम्स क्लब इसके लिए क्या पॉजिटिव स्टेप उठा रहा है?
मैं निजी तौर पर मानती हूँ कि एक खुश रहने वाली मां ही अपने बच्चों को खुश रख सकती है. बच्चे हमारे भविष्य होते हैं. हम अपने क्लब में हमेशा यही प्रयास रखते हैं कि हमारे मेंबर्स कभी स्ट्रेस में नहीं आएं और वो हमेशा खुश रहें. इसलिए हमारे ग्रुप पेज पर हम डेली कुछ न कुछ ह्यूमर का डोज डालते रहते हैं.