भारत बोलेगा

गर्भाशय में फाइब्रायड

डॉ. बी.बी. डैश का परिचय इतना भर नहीं है कि वो एक इंडोस्कोपिक सर्जन हैं. इनका परिचय यह है कि इन्होंने इंडोस्कोपिक सर्जरी में 9.4 किलोग्राम के फाइब्रायड का ऑपरेशन कर दुनिया में नाम कमाया है. लैप्रोस्कोपिक विधि से दुनिया में यूटेरस से इतने बड़े फाइब्रायड का ऑपरेशन कभी सफल नहीं हुआ था. लेकिन डॉ. बी.बी. डैश ने अपनी सूझ-बूझ से एक सफल ऑपरेशन किया. आइए जानते हैं उन्हीं की जुबानी क्या होता है फाइब्रायड और कैसे एक महिला के शरीर के लिए यह खतरनाक हो सकता है. पेश है भारत बोलेगा के साथ उनकी बातचीत.

पहले तो यह बताएं कि फाइब्रायड क्या होता है?

औरत के गर्भाशय (uterus) में विकसित होने वाला सबसे कॉमन ट्यूमर होता है फाइब्रायड (Fibroid). अधिकांश मामलों में फाइब्रायड में कैंसर की कोशिका नहीं पाई जाती है. 

फाइब्रायड ट्यूमर कैसे बनता है और इसकी पहचान कैसी की जाती है?

फाइब्रायड हार्मोन से बनने वाले ट्यूमर हैं और यह अक्सर उन महिलाओं के गर्भाशय में ही विकसित होते हैं जो प्रजनन काल के दौर से गुजर रही होती हैं. मेनोपॉज के बाद फाइब्रायड का विकसित होना रुक जाता है और नए फाइब्रायड का भी बढ़ना बंद हो जाता है. अधिकांश फाइब्रायड (आधे से ज्यादा) में कोई लक्षण नहीं पाए जाते हैं. न तो मरीज को कोई परेशानी होती है औऱ न ही कोई लक्षण दिखाई पड़ते हैं. अल्ट्रासोनोग्राफी से ही फाइब्रायड का पता चल पाता है. माहवारी के दौरान अत्यधिक रक्त स्राव में फाइब्रायड मौजूद रह सकता है. अनियमित रक्त स्राव, पेट के निचले हिस्से (पेरू) में दर्द और वहां ट्यूमर का अहसास मरीज को होता है.

फाइब्रायड से जुड़ी अन्य समस्याएं कौन सी हैं?

फाइब्रायड से महिलाओं में बांझपन की शिकायत आ जाती है. बराबर गर्भपात की समस्या या असमय ही प्रसव हो जाने की शिकायत भी आ जाती है. अगर फाइब्रायड का आकार बड़ा है तो इससे गर्भाशय पर दबाव पड़ता है और नतीजा किडनी फूल जाती है.

Dr B B Dash Gynecologist and laparoscopic surgeon

फाइब्रायड की हालत में दवा और ऑपरेशन की जरूरत कब पड़ती है?

बिना लक्षण वाले फाइब्रायड में इलाज की कोई खास जरूरत नहीं होती है. माहवारी के दौरान अत्यधिक रक्त स्राव पर नियंत्रण के लिए दवा दी जाती है. हां, जब फाइब्रायड का आकार काफी बड़ा होता है तो इससे कई परेशानियां होती है, गर्भाशय पर दबाव पड़ने लगता है. अगर फाइब्रायड मूत्र नली को अवरुद्ध कर दे तो फिर बिना सर्जरी इसका कोई इलाज नहीं है. असाधारण स्थिति में जब बांझपन की शिकायत होती है तो इस स्थिति में मायोमेक्टोमी ही बेहतर उपाय होता है.

आपने जो साढ़े नौ किलो का फाइब्रायड निकाला उस ऑपरेशन के बारे में विस्तार से बताएं. उस मरीज की क्या-क्या परेशानियां थीं और अब वह कैसी है?

हमने लैप्रोस्कोपिक विधि से फाइब्रायड को ऑपरेशन के जरिये बाहर निकाला. हमने काफी कठिन ऑपरेशन को सफल बनाया. मरीज को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई. मरीज के पूरे पेट के अंदर यह फाइब्रायड फैला हुआ था और जिसका आकार प्रसव के गर्भाशय का तिगुना था. मरीज को न तो किसी तरह की माहवारी की शिकायत थी और न ही रक्त स्राव हो रहे थे, बस वो पेट के अंदर कठोर ट्यूमर जैसा फील कर रही थी. यह पहला ऐसा मामला था जब इतने बड़े फाइब्रायड होने के बाद भी मरीज को कोई लक्षण नहीं दिखाई पड़ रहे थे. जबकि मरीज का वजन 117 किलोग्राम था बावजूद उसे अंदर से किसी भी तरह के ट्यूमर का अहसास नहीं हो रहा था. मरीज अविवाहित थी और हमने ऑपरेशन में इस बात का ख्याल रखा कि पेट पर कोई बड़ा दाग नहीं दिखे, इसलिए हमने छोटे छेद कर ऑपरेशन को सफल बनाया. सर्जरी के बाद वह अच्छा फील कर रही हैं.

आम मरीज आपसे कैसे संपर्क कर सकता है?

आम मरीज मुझसे मेरे मेल आईडी bishulee@gmail.com पर संपर्क कर सकता है. हम जरूरतमंद मरीजों का भी ख्याल रखते हैं.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी
Exit mobile version