अनुशासन का महत्व जानते हुए भी बहुत से लोग अपनी जिम्मेदारियां नहीं निभा पाते. खासकर हर माता पिता के मन में ये बात हमेशा रहती है कि वो अपने बच्चों को किस प्रकार अनुशासित, आज्ञापालक और बड़ों का आदर करने वाला बनाएं.
यह ध्यान रखने योग्य है कि बच्चा किसी भी बात को स्थायी रूप से तभी सीख पाता है, जब वह उसके बारे में सोचता है और यह निर्णय करता है कि ऐसा करना अच्छा है
अनुशासन का महत्व खुद भी समझना महत्वपूर्ण है. सुबह खुद जल्दी उठें, ईश्वर को याद करें. तनाव मुक्त रहें, खूब हंसे और हंसाएं. मुसीबतों का हिम्मत से सामना करें. खेलकूद में रूचि बढ़ाएं, फलों से दोस्ती करें. दूसरों की मदद करें, यह मन को संतोष देगा. बागवानी करें.
नहाना, खाना और सोना – ये तीन काम हमेशा समय से करें. घर के बहुत से काम काज खुद करने की कोशिश करें. खान-पान के प्रति लापरवाह न रहें. आवश्यकता से अधिक आहार बिलकुल नहीं लें. हमेशा ईश्वर के प्रति आस्थावान रहें. आप अनुशासन में रहेंगे तो बच्चे खुद ब खुद अनुशासित होंगे.
गुस्से में बच्चे को मारपीट या डांट के साथ सुधारने की कोशिश नहीं करें. बाल-मनोविज्ञान कहता है कि सजा के द्वारा बच्चों को सुधारने से समस्या जटिल बनती है. बच्चों का व्यक्तित्व संकुचित हो जाता है.
बच्चा अपने आसपास के माहौल से सीखता है और उसके मन में वही व्यवहार रहता है जो उसके साथ किया जाता है. आप भी अपने बच्चे के आसपास ऐसा माहौल रखें जहां सभी एक दूसरे को सम्मान देते हों. साथ ही, आप अपने बच्चे से अच्छी तरह बात करें. इससे बच्चा अच्छे व्यवहार के लिए प्रेरित होकर सबकी इज्जत करता है.