भारत बोलेगा

नारीवाद और 21वीं सदी के पुरुष

अगर नारीवाद का अर्थ निर्णय लेने का बराबर अधिकार हासिल करना है, तो उसी नारीवाद का अर्थ सही निर्णय लेने की ज़िम्मेदारी उठाना भी है.

आप एक ऐसे जीवनसाथी के साथ नहीं रह सकते जो घर के लिए कमाई भी करे और गृहस्थ जीवन की सारी ज़िम्मेदारी भी आधी-आधी उठा ले.

आप हर समय जीवन में सारे वैभव उठाना चाहते हैं, परंतु केवल आधी ज़िम्मेदारी के साथ पूरा ऐश्वर्य नहीं मिल सकता.

नारीवाद का अर्थ है यह समझना कि हम सब कुछ हासिल नहीं कर सकते.

एक सशक्त नारी जीवन में स्वेच्छा से कुछ त्याग करने की क्षमता रखती है.

नारीवादी पुरुष भी उसी प्रकार यह कहने से पीछे नहीं हटते कि वह भी अपने परिवार के लिए कुछ त्याग करने के लिए तैयार हैं. कुछ ऐसी ही चीजें हैं जो एक आधुनिक परिवार में एक पुरुष को त्याग देनी चाहिए, जैसे कि घरेलू कार्यों को आधे-आधे में बांटने की सोच.

एक पुरुष और एक स्त्री मिलकर एक घर को चलाते हैं. मगर इसका अर्थ यह नहीं कि वह घर का सारा काम आधा-आधा बांट लें. क्यों?

क्योंकि एक पुरुष और एक स्त्री हर काम में बराबर माहिर हों, ऐसा मुमकिन नहीं.

बात शायद पुरुष एवं महिला की भी नहीं है, कोई भी दो व्यक्ति एक जैसे नहीं होते.

किसी भी काम में दो लोगों की सोच, तरीका, और तजुर्बा अलग अलग होगा.

बेहतर यही है कि पुरुष एवं स्त्री दोनों परिवार की उन ज़िम्मेदारियों को अपनी मर्ज़ी से अपने हाथों में लें जिनमें वह बेहतर योगदान दे सकते हैं.

यही असली साझेदारी है, जिससे परिवार का सबसे अधिक विकास संभव है.

उदाहरण के तौर पर, मान लें कि एक परिवार में एक शिशु का जन्म हुआ. उसके पिता को दुःख है कि वह शिशु की देख रेख में बराबर सहयोग नहीं देते.

परंतु वह शायद कितनी भी कोशिश कर लें, हो सकता है उन्हें नवजात शिशु की बराबर देखभाल करने का अवसर ही ना मिले.

एक मां अक्सर अपने शिशु को लेकर बहुत संवेदनशील होती है. एक बच्चे के लिए बेहतर भी यही है कि मां-बाप में से कोई एक अपना पूरा समय उसे दे सके.

उस समय को आधा-आधा बांटने से शिशु का कोई खास फायदा नहीं है.

एक परिवार में हर सदस्य का अलग-अलग काम होता है. एक पुरुष और स्त्री हर काम आधा-आधा करें यह ना ही आवश्यक है, ना ही लाभदायक.

बेहतर यह है कि दोनों आपसी सहमती एवं सामंजस्य के साथ अपनी-अपनी जिम्मेदारियां तय करें. एक पुरुष के लिए जरूरी है कि वह हर काम को आधा-आधा बांटने की बात ना सोचकर काम को बेहतर तरीके से एक परिवार के तौर पर सोचे.


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