टीम इंडस ऐसे युवाओं का समूह है जो जी जान लगाकर अपना वजूद साबित करना चाहता है. इसमें करीब 100 लोग हैं जिनमें से ज्यादातर इंजीनियर हैं और जिनका नेतृत्व राहुल नारायण कर रहे हैं. इन लोगों के मन में सिर्फ एक ही इच्छा है कि वे चांद पर पहुंचने वाली पहली निजी कंपनी बनें. टीम इस अभियान को ‘हर इंडियन का मूनशॉट’ कहती है. ईनाम का हकदार बनने के लिए टीम इंडस के रोबोट को चंद्रमा की सतह पर पहुंचने के बाद कुछ काम भी करने होंगे, जिसमें वीडियो फ़िल्म शूट करना, सतह पर कुछ दूरी तक चलना और आंकड़े इकठ्ठा करना शामिल है. जो कंपनियां इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही हैं वे हैं – टीम इंडस, स्पेसआईएल, मून एक्सप्रेस, सिनर्जी मून और हकातू.
इस प्रतियोगिता की घोषणा करते हुए गूगल और एक्स-प्राइज़ फ़ाउंडेशन ने कहा था कि यह प्रतियोगिता इसलिए आयोजित की जा रही है ताकि कम लागत में अंतरिक्ष को जानने के लिए रोबोट अभियान को बढ़ावा दिया जा सके. जिस टीम का सफल रोबोट अपने लक्ष्य से अधिक कार्य कर पाता है तथा चंद्रमा की ठंडी रात के बाद भी काम कर पाता है तो उसे अतिरिक्त बोनस दिया जाएगा. एक्स-प्राइज़ फ़ाउंडेशन के चेयरमैन डा. पीटर डायमंडिस के अनुसार इस प्रतियोगिता से रोबोट टेक्नॉलॉजी को बढ़ावा मिलेगा और अंतरिक्ष अन्वेषण का ख़र्च नाटकीय रुप से कम हो जाएगा.
अंतरिक्ष में बसेगी बस्ती
इसी बीच अमेरिकी अंतरिक्ष संस्था नासा और वर्जिन विमान कंपनी भी आम आदमी को अंतरिक्ष भेजने के अपने अभियान की तैयारियां कर रही है. नासा की योजना तो मंगल ग्रह पर मानव अस्तित्व का आधार खोजने की है. यह मंगल का वह इलाका होगा जहां से पानी और बर्फ का स्रोत दूर ना हो. इस दौर में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो पीछे नहीं है क्योंकि यह भी चंद्रमा पर अपने रोबोट पहुंचाने की तैयारी कर रहा है.
इसरो और टीम इंडस की जुगलबंदी
इसरो ने एक साथ रिकार्ड 104 सेटेलाइट का प्रक्षेपण कर पहले ही इतिहास रच दिया है. इसरो का यह भी कहना है कि इसके चंद्रयान सीरीज पर आगे काम हो रहा है जिसके तहत पहले इसका रोबोट चंद्रमा की धरती पर उतरेगा और फिर चंद्रयान-2 को भेजा जाएगा. इसके बाद मनुष्य को चंद्रमा पर भेजने की कवायद होगी. ज्ञात हो कि चंद्रयान-1 को 2008 में चंद्रमा पर भेजा गया था. चंद्रयान-2 चंद्रमा की धरती पर मिलने वाले मिनरल्स की जांच करेगा. यह बताना जरूरी है कि इसरो के पास अगर ज्ञान का भंडार और विरासत है तो ‘टीम इंडस’ एक युवा उर्जा तथा गूगल की प्रतियोगिता में हर हाल में जीतने की भावना से ओतप्रोत है.
यह दिलचस्प है कि टीम इंडस के यान को इसरो के पीएसएलवी की मदद से ही धरती से 800 किमी ऊपर कक्षा में प्रक्षेपित किया जाएगा. उसके आगे यान अपने इंजन के जरिये चांद तक पहुंचेगा. उल्लेखनीय है कि 20 जुलाई, 1969 को मानव ने चंद्रमा की सतह पर पहला क़दम रखा था. अपोलो-11 में बैठकर तीन अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग, एडविन एल्ड्रिन और मिशेल कॉलिंस इस अभियान पर निकले थे. आर्मस्ट्रांग और एल्ड्रिन चांद पर उतरे जबकि कॉलिंस यान में रहे थे.