बात 2015 के विश्व कप से पहले की है, जब एक आईपीएल फ्रैंचाइज़ी ने दिल्ली और मुंबई में एक प्रतिभा खोज अभियान से 15 युवा खिलाड़ियों का चयन किया था.
उन खिलाड़ियों को साऊथ ऑस्ट्रेलिया ट्रेनिंग के लिए भेजा जाना था और उन्हें ऑस्ट्रेलिया में आयोजित विश्व कप में भारत और पाकिस्तान के बीच मैच देखने का मौका मिलना था.
इन युवा क्रिकेटरों को दिल्ली में मीडिया से रूबरू कराया गया और इस दौरान एक व्यक्ति ने खड़े होकर पूछा कि क्या उनके बच्चों को आईपीएल में खेलने का मौका मिल पाएगा.
इस व्यक्ति का यह सपना नहीं था कि उसका बेटा कभी देश के लिए खेले बल्कि उसका पहला सपना था कि उसका बेटा किसी तरह आईपीएल में खेल ले.
यह आईपीएल में बरसती बेशुमार दौलत और इससे रातोंरात मिलने वाली शोहरत है जिसने इस व्यक्ति को ऐसा सवाल पूछने के लिए मजबूर किया.
दरअसल आईपीएल में बरसने वाली दौलत का कमाल है कि दुनिया का कोई भी खिलाड़ी खुद को इससे दूर नहीं रख पाता है.
आईपीएल का मुद्दा इस समय इसलिए प्रासंगिक हो गया है कि 23 मार्च से आईपीएल का 12वां संस्करण शुरू होने वाला है और 30 मई से इंग्लैंड में विश्व कप होना है.
इन सबके बीच यह सवाल प्रमुखता से उठाया जा रहा है कि विश्व कप टीम के भारतीय खिलाड़ी यदि डेढ़ महीने तक आईपीएल में खेलते हैं तो वे फिर डेढ़ महीने तक चलने वाले विश्व कप में ताजा दम रहकर कैसे खेल पाएंगे.
इस मुद्दे पर भारतीय कप्तान विराट कोहली का कहना है कि किसी भी खिलाड़ी के आईपीएल में खेलने पर कोई रोक नहीं है और यह खिलाड़ी विशेष की जिम्मेदारी है कि वह इस दौरान अपनी फिटनेस का खुद ध्यान रखे.
आईपीएल में खिलाड़ियों को इतना पैसा मिलता है कि वे आईपीएल में खेलने के लोभ से खुद को रोक नहीं पाते. यदि वे आईपीएल से दूर रहते हैं तो उन्हें करोड़ों का नुकसान होता है.
विराट को आईपीएल के डेढ़ महीने के एक सत्र में खेलने के लिए 17 करोड़ रुपये मिलते हैं तो ऐसे में वह खुद आईपीएल में खेलने से कैसे दूर रह पाएंगे.
मौजूदा और पूर्व खिलाड़ियों में से कोई भी यह नहीं कहता है कि विश्व कप जैसे महत्वपूर्ण टूर्नामेंट से पहले खिलाड़ियों को आईपीएल में नहीं खेलना चाहिए जिसमें यात्रा, मैच और फिर पार्टियां जैसी थकाने वाली चीजें मौजूद हैं, क्योंकि मौजूदा खिलाड़ी खेल रहे हैं और पुराने खिलाड़ी किसी न किसी रूप से आईपीएल से जुड़े हुए हैं.
टीम से जुड़ा हर प्रायोजक खिलाड़ियों को भुनाने की पूरी कोशिश करता है. जो फ्रैंचाइजी खिलाड़ियों को मोटा पैसा दे रही हैं वे भी चाहती हैं कि खिलाड़ी हर हाल में हर मैच में खेले.
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का यह महत्वाकांक्षी टूर्नामेंट है और वह भी चाहता है कि उसके तमाम बड़े खिलाड़ी इसमें खेलें.
बीसीसीआई ने इसके प्रसारण के लिए ब्रॉडकास्टर से हजारों करोड़ रुपये की मोटी रकम ली है. ब्रॉडकास्टर को भी विज्ञापनों के जरिये अपनी कमाई करनी है ताकि वह अपनी खर्च की हुई रकम की भरपाई कर सके.
इस पूरे चक्र में विराट और महेंद्र सिंह धोनी जैसे बड़े और स्टार खिलाड़ियों का इसमें खेलना जरूरी हो जाता है वरना आईपीएल का स्टारडम ही चला जाएगा.
अभी तक किसी भारतीय खिलाड़ी ने यह नहीं कहा है कि वह विश्व कप को ध्यान में रखते हुए आईपीएल में हिस्सा नहीं लेगा.
वैसे भी आईपीएल अब तो देश का त्यौहार है और बीसीसीआई से लेकर प्रायोजक और खिलाड़ी से लेकर जनता तक हर कोई इसके जश्न में डूबना चाहता है.
विश्व कप का क्या है जीत गए तो ठीक है वरना यह फिर चार साल बाद आ जाएगा.