भारत बोलेगा

धोनी जैसा कोई नहीं

आजकल भारतीय क्रिकेट टीम के प्रदर्शन में यदि कभी खराबी आती है तो तुरंत महेंद्र सिंह धोनी पर उंगलियां उठ जाती हैं.

सोशल मीडिया पर तो सबसे ज्यादा सवाल धोनी पर ही उठाए जाते हैं, लेकिन लोग धोनी के भारतीय क्रिकेट में अभूतपूर्व योगदान को भूल जाते हैं.

इंग्लैंड में चल रहे विश्व कप में कई बार ऐसा हो चुका है कि टीम धीमा खेली या फिर कड़ा संघर्ष कर जीती, तो निशाने पर कौन आया- धोनी.

लोग भूल जाते हैं कि धोनी जैसा खिलाड़ी भारत को दोबारा मिलना मुश्किल है.

भारत को विश्व कप और चैंपियंस ट्रॉफी जिताने वाले धोनी की कप्तानी और खेल का लोहा दुनिया के सभी बड़े खिलाड़ी मानते हैं.

आलोचकों को सनद रहे कि कप्तानी के मामले में भी धोनी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कप्तानों में से एक रहे हैं.

2014 की बात है जब भारतीय टीम इंग्लैंड का दौरा कर रही थी और उस समय विराट कोहली मैच-दर- मैच असफल हो रहे थे.

उस समय के कप्तान धोनी हर मैच के बाद कहते थे कि विराट को सिर्फ एक पारी की जरूरत है.

इंग्लैंड दौरे के बाद भारतीय टीम घर लौटी और वेस्ट इंडीज के खिलाफ धर्मशाला के मैच में विराट ने शतक बनाया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा.

आज विराट विश्व कप में भारतीय टीम के कप्तान हैं और टीम को सेमीफाइनल में ले जा चुके हैं.

भारतीय क्रिकेट को तो धोनी का शुक्रगुजार होना चाहिए कि उन्होंने विराट पर अपना भरोसा लगातार बनाए रखा.

वही भरोसा है जिस कारण विश्व क्रिकेट को विराट जैसा सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज मिल पाया.

विराट भी उस समय को भूले नहीं हैं और यही कारण है कि विराट हमेशा धोनी के समर्थन में खड़े रहते हैं.

धोनी ने संकेत दे दिया है कि यह उनका आखिरी विश्व कप है और अब यह पूरी टीम की जिम्मेदारी है कि वह देश को विश्व कप जिताए.

आखिर धोनी वह खिलाड़ी हैं जिन्होंने 1983 की कपिल देव की सफलता को 28 साल बाद 2011 में दोहराया और लीजेंड सचिन तेंदुलकर का विश्व कप जीतने का सपना पूरा किया.

इस विश्व कप में धोनी की अफगानिस्तान और इंग्लैंड के खिलाफ धीमी पारियों पर आलोचक उनपर टूट पड़े थे लेकिन वे यह भूल गए कि धोनी ने हालात के हिसाब से वो पारियां खेली थीं.

धोनी मध्य क्रम में ऐसा स्तम्भ हैं जो पारी को अपने मजबूत कन्धों पर संभाले रहते हैं और पारी को ढहने नहीं देते.

भारत के शीर्ष क्रम में रोहित शर्मा, विराट कोहली और लोकेश राहुल जैसे मजबूत बल्लेबाज हैं लेकिन निचले क्रम में सातवें नंबर के बाद भुवनेश्वर कुमार, मोहम्मद शमी, युजवेंद्र चहल, कुलदीप यादव और जसप्रीत बुमराह से रनों की उम्मीद नहीं की जा सकती.

मध्य क्रम में केदार जाधव, हार्दिक पांड्या और ऋषभ पंत जैसे बल्लेबाजों को दूसरे छोर पर धोनी के खड़े रहने से ही एक भरोसा मिलता है और यही भरोसा टीम को मजबूती देता है और इसी भरोसे ने टीम को सेमीफाइनल तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

धोनी कभी कप्तानी या बल्लेबाजी क्रम को लेकर अडिग नहीं रहते. उन्होंने टेस्ट या वनडे कप्तानी जब सही लगा तभी छोड़ दी, उस पर चिपके नहीं रहे.

उनका सपना यह विश्व कप खेलना था और वह उस सपने को शिद्दत के साथ जी रहे हैं, फिर चाहे कोई कुछ भी कहे. वह विश्व कप जीतकर खेल को विदा कहना चाहते हैं और टीम को उनका यह सपना पूरा करना चाहिए.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी
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