भारत बोलेगा

देखो, धोनी मार रहा है

धोनी मार रहा है. 37 की उम्र में 50+ के औसत से रन बना रहा है. क्रिकेट में जिस पड़ाव पर खिलाड़ी अपनी पहचान खो बैठते हैं, वहां धोनी सर्वश्रेष्ठ फिनिशर बताए जा रहे हैं. हर तरफ ‘धोनी, धोनी, धोनी’ की गूंज सुनाई दे रही है.

महेंद्र सिंह धोनी पर बनी फिल्म ‘धोनी द अनटोल्ड स्टोरी’ में एक डायलॉग “माही मार रहा है” आज की तारीख में बिलकुल फिट बैठ रहा है.

माही यानी धोनी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज में लगातार तीन अर्धशतक ठोककर अपने आलोचकों के साथ यही काम किया है कि माही मार रहा है.

कुछ महीने पहले की बात है, इंग्लैंड दौरे में धोनी गेंद उठाकर पवेलियन जा रहे थे कि आलोचकों ने कयास लगाना शुरू कर दिया कि धोनी संन्यास लेने जा रहे हैं. लेकिन, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज ने धोनी का कद इतना विराट कर दिया है कि उन पर सवाल उठाने वाले खामोश हो गए है.

इस सीरीज ने यह तय कर दिया है कि धोनी इंग्लैंड में 30 मई से होने वाला एकदिवसीय विश्व कप खेलने जा रहे हैं. धोनी ने सीरीज में 51, नाबाद 55 और नाबाद 87 रन की पारियां खेल कर यह साबित कर दिया कि वह अब भी पहले जैसे ही फिनिशर हैं हालांकि उन्होंने अपना आक्रामक अंदाज और तेवर कुछ बदल लिया है.

धोनी अब विपक्षी गेंदबाजों को बुरी तरह मारते नहीं हैं बल्कि वह उन्हें थका- थका कर मारते हैं. जहां एक रन मिलता है वह दो रन चुराते हैं और जहां दो रन मिलते हैं वह तीन रन दौड़ जाते हैं.

भारत की दूसरे और तीसरे वनडे में जीत के दौरान धोनी ने इसी तरह पारियां खेलीं और ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को पस्त कर दिया.

विकेटकीपर बल्लेबाज धोनी अपने शानदार प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द सीरीज बने और पिछले आठ वर्षों में यह उनका पहला मैन ऑफ द सीरीज अवार्ड था. आखिरी बार वह 2011 में इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में मैन ऑफ द सीरीज बने थे. भारत ने तब वह सीरीज 5-0 से जीती थी.

धोनी ने पिछले कुछ वर्षों में भारतीय टीम से लेकर आईपीएल तक ऐसा दौर देखा जो उनके जैसा सफल खिलाड़ी देखना पसंद नहीं करता.

चेन्नई टीम पर दो साल का प्रतिबंध लगने के बाद वह नई पुणे टीम में गए लेकिन एक साल बाद उनसे कप्तानी छीन ली गई और अगले सत्र में टीम मालिकों ने धोनी पर ही सवाल उठा दिए कि धोनी जैसे खेलना भूल गए हैं.

चेन्नई पर लगा प्रतिबंध समाप्त होने के बाद धोनी ने वापस चेन्नई की कप्तानी संभाली और उसे चैंपियन बनाया.

लेकिन आलोचकों को यहां भी सब्र नहीं हुआ और एक ख़राब सीरीज गुजरने पर उन्होंने उंगलियां उठानी शुरू कर दीं.

वेस्ट इंडीज के खिलाफ घरेलू ट्वंटी-20 सीरीज और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ट्वंटी-20 सीरीज से धोनी को बाहर कर दिया गया. धोनी जब घरेलू क्रिकेट नहीं खेल रहे थे तो सुनील गावस्कर जैसे दिग्गज ने सवाल उठाए कि धोनी घरेलू क्रिकेट क्यों नहीं खेल रहे हैं.

इन सबके बीच यह भी सवाल उठने लगा कि धोनी विश्व कप खेल पाएंगे?

चयनकर्ताओं ने अचानक ही एक समझदारी भरा फैसला करते हुए धोनी को न्यूज़ीलैंड दौरे के लिए ट्वंटी-20 टीम में वापस बुलाया और इसका परिणाम सभी ने देखा कि धोनी वनडे सीरीज में लगातार तीन अर्धशतक जमाकर मैन ऑफ द सीरीज बन गए.

आलोचक चाहे जो भी कहते रहे, टीम इंडिया के सदस्यों को माही पर पूरा भरोसा है. उपकप्तान रोहित शर्मा ने कहा कि धोनी विश्व कप टीम का अभिन्न हिस्सा हैं. कप्तान विराट कोहली ने कहा कि मैच स्थिति को धोनी से बेहतर कोई और नहीं समझता. जबकि कोच रवि शास्त्री ने कहा कि धोनी की जगह कोई नहीं ले सकता.

इस दौर में विराट पूरी मजबूती से धोनी के साथ खड़े हैं और इस बात ने माही को टूटने नहीं दिया. वैसे धोनी ऐसे खिलाड़ी भी नहीं हैं जो ऐसे झटकों से टूट जाएं.

2014 में इंग्लैंड में जब विराट बेहद खराब दौर से गुजर रहे थे तो उस समय के कप्तान धोनी मजबूती के साथ विराट के साथ खड़े थे और आज वही काम विराट धोनी के साथ कर रहे हैं.


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