भारत बोलेगा

नाराजगी से पहले सचिन सोचें

महेंद्र सिंह धोनी की अफ़ग़ानिस्तान के खिलाफ विश्व कप मुकाबले में धीमी बल्लेबाजी पर क्रिकेट लीजेंड सचिन तेंदुलकर ने नाराजगी जताई है.

लेकिन, सचिन जैसे महान खिलाड़ी भी यह भूल गए कि उस समय हालात और परिस्थितियां ऐसी थीं कि धोनी बड़े शॉट खेलने का जोखिम नहीं उठा सकते थे.

भारत के चार विकेट 135 रन पर गिर चुके थे और कप्तान विराट कोहली भी पवेलियन लौट चुके थे, ऐसे समय में किसी भी बल्लेबाज का विकेट पर टिक कर खेलना जरूरी था.

यदि इस समय विकेट गिर जाता तो विश्व की नंबर दो टीम की दुर्दशा का सहज अंदाजा लगाया जा सकता था लेकिन धोनी विकेट पर जमे और केदार जाधव के साथ पांचवें विकेट के लिए 57 रन की बेशकीमती साझेदारी की.

भारत की 11 रन की जीत में इस साझेदारी के महत्त्व का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है.

धोनी ने बेशक 52 गेंदों पर तीन चौकों की मदद से 28 रन बनाए लेकिन उनकी पारी टीम की जरूरत के हिसाब से थी. सचिन ने धोनी पर सवाल उठाया लेकिन उन्होंने उन बल्लेबाजों को सलाह नहीं दी जो जरूरत के समय रन नहीं बना पाए.

ओपनर रोहित शर्मा ने टूर्नामेंट में दो शतक बनाए हैं लेकिन इस मैच में वह एक रन पर आउट हुए.

ओपनर लोकेश राहुल ने 53 गेंदों पर 30 रन, विजय शंकर ने 41 गेंदों पर 29 रन और हार्दिक पांड्या ने नौ गेंदों में सात रन बनाए. सचिन को यदि सवाल उठाना था तो उन्हें पूरी टीम की बल्लेबाजी पर उठाना चाहिए था.

11 खिलाड़ियों में केवल धोनी पर सवाल उठाना न्यायोचित नहीं कहा जा सकता.

महेंद्र सिंह धोनी की अफगानिस्तान के खिलाफ विश्व कप मुकाबले में धीमी बल्लेबाजी पर क्रिकेट लीजेंड सचिन तेंदुलकर ने नाराजगी जताई है लेकिन सचिन जैसे महान खिलाड़ी भी यह भूल गए कि उस समय हालात और परिस्थितियां ऐसी थीं कि धोनी बड़े शॉट खेलने का जोखिम नहीं उठा सकते थे.

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने धोनी और केदार जाधव की धीमी बल्लेबाजी पर निराशा जाहिर करते हुए कहा कि उनमें पॉजिटिव बल्लेबाजी की कमी दिखी.

पिछले कुछ वर्षों में यह ट्रेंड सा बन गया है कि यदि टीम इंडिया किसी मैच में खराब खेले तो तुरंत धोनी को कटघरे में खड़ा कर दो.

सोशल मीडिया पर लोगों ने धोनी पर क्या-क्या कहा. एक व्यक्ति ने तो फोन कर ही पूछ लिया कि क्या धोनी को अगले मैच से ड्राप किया जा रहा है.

सोशल मीडिया में तो आलोचकों को कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन जब सचिन जैसा महान खिलाड़ी कुछ बोले तो उसका असर होता है.

अपने करियर में कई बार ऐसी निराशाजनक पारियां खेलने वाले सचिन को ऐसे खिलाड़ी के बारे में कुछ सोच समझ कर बोलना चाहिए जिन्होंने उनका विश्व जीतने का सपना पूरा किया था.

2011 के विश्व कप फ़ाइनल में धोनी ने जहां नाबाद 91 रन की मैच विजयी पारी खेली थी वहीं सचिन मात्र 18 रन बनाकर आउट हो गए थे. सचिन 2003 विश्व कप के फाइनल में भी सस्ते में निपट गए थे.

सचिन जैसे बड़े खिलाड़ी और क्रिकेट के महान ज्ञाता से ऐसी आलोचना की उम्मीद नहीं की जा सकती जब टीम इंडिया के खिलाड़ी उनसे मनोबल बढ़ाने की उम्मीद करते हैं.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी
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