दिल्ली का खान मार्केट – रीयल एस्टेट की नजर से दुनिया के सबसे महंगे बाजारों में से एक और एशिया का शायद सबसे महंगा कमर्शियल इलाका. विदेशियों व राजनयिकों की चहल-पहल से रंग रंगीले खान मार्केट में दिल्ली की सर्दी भी गर्म लगती है. चीजें उतनी महंगी भी नहीं है. असल में हर कुछ स्टैंडर्ड का मिल जाता है. मेट्रो रूट पर आ जाने से यह मार्केट मटरगश्ती का ख़ासा अड्डा बन गया है.
मैं भी इस बाजार का मुआयना करने निकल पड़ी, बस यूँ ही. सोचा, दिल्ली की ठंड की ऐसी-तैसी कर आऊं. कुछ शापिंग भी कर लूंगी और थोड़ा फूड ज़ोन का लुत्फ़ भी उठाऊंगी. खान मार्केट में विंडो शापिंग का भी अलग आनंद है – डिजाइनर शो-रूम, पश्चिमी पहनावों के नवीनतम आइटम, अपनी भारतीय शैली के ललचाऊ परिधान. ओह, सब मेरा हो जाए, काश…!
शायद सबसे अच्छे कैफे और रेस्तरां भी यहीं हैं. घर की खरीदारी, फैशन, पार्लर, पालतू जानवरों की भी पसंदीदा दुकान. सब कुछ यहां मिलता है, उम्दा.
ऊंची दुकानें और ऊंचे दाम तो हैं लेकिन जब कुछ खरीद कर घर ले जाते हैं तो मन खुश रहता है. जब मैं ‘गुड अर्थ’ शो रूम से निकल रही थी तो एक विदेशी जोड़ा बतिया रहा था: “द शॉप्स आर रियली एक्लेक्टिक” (मानना पड़ेगा कि इस मार्केट की दुकानों का सामान लाजवाब है). मार्केट में पीछे की तरफ तो जो छोटी-छोटी दुकानें हैं वहां बड़ी दिलचस्प चीजें मिल जाती हैं, वैसी भी जो शायद किसी अन्य मार्केट में इतनी आसानी से न मिलें.
इसी सुहाने माहौल में घुमते-घुमते मैं अचानक ‘लेवाइस’ स्टोर में घुस गई. मन ही मन सोच रही थी देखूं कौन कौन से नए जींस आये हैं. इस ब्रांड की हर रिलीज में मेरी दिलचस्पी है. अरे, भीतर घुसते ही मैंने एक लं~~~~बी सांस ली. और मुस्कुराये बिना नहीं रह सकी. कितनी मीठी शांति. मैने वहीँ ट्वीट किया: “जिंसों के इस गर्म दूकान में जहां पुतले डेमी कर्व, बोल्ड कर्व पहने खड़े हैं, वहीं इन वेस्टर्न कैजुअल कपड़ों के बीच हनुमान चालीसा का पाठ सुन रही हूँ.” दरअसल ‘लेवाइस’ स्टोर में हनुमान चालीसा चल रहा था, बकायदा म्यूजिक सिस्टम पर. साथ में अगरबत्ती की महक चारों ओर फैली हुई थी. कितना सुंदर अहसास. शायद यही हमारे देश की खासियत है. कहां मिलेंगे आपको यह सब इकठ्ठा – दिलकश नज़ारे, आम आदमी, लंबी हील के जूते, इतालवी भोजन और चिपकू जींस की दुकानें. और साथ में हनुमान चालीसा. गज़ब का संगम.