एक खूबसूरत है. दूसरी उत्साह से भरपूर. एक 35 वर्ष की. दूसरी 38. जब एक बोलती है तो दूसरी चहकती है. दोनों इकठ्ठा, एक साथ सजीवता का बेहतरीन उदाहरण हैं. दोनों ही ग़जब की फोटोग्राफर हैं.
दोनों में छोटी – वेरा एडलर – कहती हैं – “यह हमारा सौभाग्य है कि हमें भारत में वास्तविक जीवन देखने को मिला है. इस देश में हमनें यथार्थ का दर्शन किया है. जो हम हमेशा से चाहते थे वह हमें भारत में देखने को मिला है.” उनकी दोस्त ततिआना मकरंको फुदकते हुए हमें बताती हैं – “भारत में हमें अभूतपूर्व उर्जा मिली है. जगह-जगह रह-रहकर हमारा कैमरा चलता रहा. पता नहीं हमनें क्या-क्या खींचा. कितना खींचा. सब एक-से-बढ़कर-एक हैं.”
“भारत ही क्यों?” यह पूछने पर उन्होंने गर्व से कहा कि यह देश उनके लिए बहुत मायने रखता है. “यह बहुत पवित्र देश है. यहां हर कोई कुछ कहता है. यहां हर कोई सुनता है. यहां हर कोई सुंदर दिखता है. यहां हर कुछ बेहतर लगता है.” ततिआना तो बहुत कुछ कहना चाहती थीं – कैमरे से भी और बोलकर भी. “योर इंडिया इज ए ग्रेट कंट्री.” यह कहकर वह भावविभोर हो गईं. “बहुत सारी यादें लेकर जा रही हूँ. अपने साथ आपका इंडिया लेकर जा रही हूँ.”
जहां ततिआना विज्ञान की छात्रा रही हैं और उन्होंने यूरोप का जमकर भ्रमण किया है, वहीं वेरा अकेले ही टेंट लेकर रूस और तुर्की में घूमती रही हैं. पहले नेपाल में और फिर भारत में दोनों ने इकट्ठे यात्रायें कीं. “यहां हमने दोस्त बनाए. हमने यहां की संस्कृति जाना. यहां का इतिहास पढ़ा. और हमने यहां की ज़िन्दगी जी.”