कल्पना कीजिए, दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर माउंट एवरेस्ट पर कोई कॉल सेंटर बना हो और आप वहां फोन कर पूछें कि मैं एवरेस्ट पर चढ़ना चाहता हूं और आपको जवाब मिले कि आप अपनी बारी की प्रतीक्षा कीजिए क्योंकि आप कतार में हैं, तो कैसा लगेगा.
लेकिन यह बात बहुत हद तक सही है. बस इसमें कॉल सेंटर नहीं है, लेकिन एवरेस्ट पर चढ़ने वालों की लंबी कतार है जो किसी को भी हैरत में डाल सकती है.
यह एवरेस्ट पर चढ़ने का मौसम है और पर्वतारोही साल के इस समय को एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए चुनते हैं लेकिन इस बार एवरेस्ट पर चढ़ाई की हैरतअंगेज तसवीरें सामने आ रही हैं जिनमें दिखाई दे रहा है कि लोग लाइन लगाकर अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
इन तस्वीरों ने दुनिया भर का ध्यान अपनी तरफ खींचा है. हालांकि इस दौरान ऐसी भी खबर है कि एक सप्ताह के दौरान सात पर्वतारोहियों की एवरेस्ट पर मौत हो गई है.
इनमें से तीन की मौत तो उतरते समय हुई थी. वे उतरते समय भीड़ में फंस गए थे.
वैसे एवरेस्ट पर चढ़ने में मदद करने वाले गाइड कहते हैं कि पर्वत शिखर के निकट लंबी कतार पर्वतारोहण के मौसम में काफी आम बात हो गई है.
सेवन समिट्स ट्रेक्स के अध्यक्ष मिंगमा शेरपा का कहना है कि इस मौसम में ऐसी भीड़ हो जाती है और पर्वतारोहियों को शिखर पर चढ़ने के लिए 15 मिनट से लेकर डेढ़ घंटे तक इन्तजार करना पड़ सकता है.
मिंगमा का कहना है कि यदि चढ़ाई के लिए सही मौसम एक सप्ताह तक रहे तो इतनी भीड़ नहीं होगी लेकिन यदि चढ़ाई की विंडो दो-तीन दिनों के लिए हो तो कतार लंबी हो जाती है.
पर्वतारोहण के विशेषज्ञों का हालांकि कहना है कि शिखर पर लंबी कतार खतरनाक भी हो सकती है. जब लोगों को इन्तजार करना पड़ता है तो ऑक्सीजन की कमी का खतरा हो सकता है और वापसी के समय उनके पास पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं रह जाती है. यह स्थिति किसी को भी मौत के मुंह में धकेल सकती है.
यह भी कहा जाता है कि निर्धारित पर्वतारोही के लिए छोड़े गए ऑक्सीजन सिलेंडर चोरी भी हो जाते हैं और ऑक्सीजन सिलेंडर का चोरी होना किसी को मारने जैसा अपराध है.
विशेषज्ञों का मानना है कि पर्वतारोहण का हाल के वर्षों में लोकप्रिय होना एवरेस्ट पर भीड़ बढ़ने का एक बड़ा कारण है. एवरेस्ट पर चढ़ाई करना मौजूदा समय में कमाई करने का एक अच्छा व्यवसाय भी बन गया है.
कई ऐसे लोग एवरेस्ट पर चढ़ने पहुंच जाते हैं जिन्हें इसका पर्याप्त अनुभव नहीं होता है और ये शेरपाओं के सहारे आगे बढ़ते हैं. यह भी भीड़ बढ़ने का एक कारण है.
शेरपा एक सप्ताह में दो बार एवरेस्ट चढ़ जाते हैं. नेपाल ने इस मौसम के लिए 11 हजार डॉलर की कीमत पर 381 परमिट जारी किए थे. पिछले साल 807 पर्वतारोही एवरेस्ट पर पहुंचे थे और इस बार यह संख्या इससे ज्यादा जा सकती है.