भारत बोलेगा

पानी की बूंद जैसा श्रीलंका का नक्शा

यूनेस्को ने श्रीलंका में आठ विश्व विरासत स्थलों को सूचीबद्ध किया है, जिसमें छह सांस्कृतिक स्थल और दो प्राकृतिक स्थल शामिल हैं.

मेरे पति की बहुत तमन्ना थी सिगरिया हिल्स देखने की, जो दुनिया भर में मशहूर है और विश्व धरोहर भी है. उन्होंने अचानक श्रीलंका जाने का कार्यक्रम बनाया.

बच्चों की परीक्षाएं ख़त्म हो चुकी थी. बस हमने अपना सामान बांध लिया. वीजा की थोड़ी सी ऑनलाइन औपचारिकताएं करने के बाद हमारी टिकट हो गई.

हमें दिल्ली से मुंबई, फिर मुंबई से श्रीलंका की टिकट मिली. मुंबई हवाई अड्डे पर इमीग्रेशन की कार्यवाही पूरी होते ही हम श्रीलंका के लिए विमान में बैठ गए.

वैसे तो हमने वहां की जानकारी इंटरनेट से ले ली थी परंतु सहयात्रियों से भी बातचीत करते हमने बहुत कुछ नया सुना जिसे देखने और अनुभव करने की उत्कंठा लिए हम सुबह छह बजे कोलोंबो पहुंच गए.

सबसे पहले हमने अपनी सुविधा के लिए एक स्थानीय सिम कार्ड लिया. हवाई अड्डे के बाहर ही हमें ट्रेवल एजेंसी की अच्छी व्यवस्था दिखी.

हमने उनसे बात की और उनकी गाड़ी चार दिनों के लिए किराए पर ली. उन्होंने बहुत ही अच्छी गाड़ी और हिंदी भाषी ड्राईवर हमें उपलब्ध करवाया.

सामान गाड़ी में रखते ही हम निश्चिंत हुए, और तब शुरू हुई एक अच्छे होटल की तलाश. होटल मिलते ही वहां सामान रखकर हम तैयार हुए और सिगरिया के लिए निकल गए.

यह पहाड़ियों से घिरा हुआ एक अत्यंत प्राचीन ऐतिहासिक स्थल है जो कभी रावण का किला माना जाता था.

बहुत ही सुंदर तालाब और संग्रहालय देखते हुए हमने सिगरिया की चढ़ाई शुरू की जो कि अत्यधिक रोमांचक थी, लगभग दो घंटे बाद हम शिखर पर पहुंच चुके थे.

चढ़ाई दुर्लभ और रोमांचक थी लेकिन अद्भुत और अद्वितीय अद्वितीय थी. एक राय देना चाहूंगी कि ऐसी जगहों पर हमेशा सुविधाजनक जूते लेकर जाएं.

हमने कई सारे मित्र बनाए जिनके साथ बातें करते हुए शिखर तक जाने का रास्ता सुगम और सुखद हो गया. वहां से लौटने का वक़्त हो जाने के कारण हम नीचे आए. वहां से हम गैले फोर्ट (जिसे ओल्ड डच फोर्ट भी कहते हैं) देखने निकले और फिर कैंडी के लिए निकल पड़े.

कैंडी चारो तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है. कहा जाता है कि गौतम बुद्ध के दांत यहां रखे हुए हैं इसलिए यहां के बुद्ध मंदिर को ‘टेम्पल ऑफ सेक्रेड टूथ रेलीक’ कहा जाता है. यहां मंदिर की छत सोने और चांदी पात्रों के हैं.

यह बहुत ही खूबसूरत जगह है. रात को कैंडी रुकने के बाद दूसरे दिन सुबह हम नुवाराइलिया के लिए निकले. यह बहुत ही खूबसूरत जगह है, मौसम थोड़ा ठंढा था लेकिन बहुत ही रमणीय.

यह चाय के बागानों के लिए मशहूर है, और इसे छोटा इंग्लैंड भी कहते हैं. हमने वहां चाय की फैक्ट्री देखी और विभिन्न किस्मों की चाय का आनंद लिया और प्राचीन मंदिरों के दर्शन किए और बहुत ज्यादा थक जाने के कारण वहीं रुकने का कार्यक्रम बनाया. 

हम बहुत ज्यादा यात्रा कर चुके थे और अब सिर्फ दाल चावल खाने की चाह थी. होटल वाले ने हमारी पसंद का भारतीय भोजन हमें करवाया.

दूसरे दिन हम आस पास विभिन्न मसालों के बाग़ देखते हुए केलनिया पहुचे. यहां बुद्ध मंदिर जो केलानी नदी के तट पर है, बहुत ही सुंदर है.

उस दिन हम वहीं रुक गए और दूसरे दिन बच्चों को पि‍न्नावला एलिफेंट ऑरफनेंज दिखाया. हम वहां समय से पहुंच गए इसलिए हाथियों के सुबह से शाम तक के दैनिक कार्यक्रमों को देखने और नज़दीक से महसूस करने का मौका मिला.

अत्यंत सुखद, रोमांचक और दुर्लभ था सब कुछ. अब वापस दिल्ली आने का समय हो रहा था, क्योंकि हमारे पास सिर्फ एक दिन का समय बचा था.

इसलिए वहां से हम कोलोंबो के लिए रवाना हुए. आप परिवार और दोस्तों के साथ श्रीलंका अवश्य जाएं. वहां के स्थानीय लोगों में बहुत ही व्यवहारिकता देखने को मिलेगी.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी
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