खाद्य सेक्टर में गहराती चुनौती

खाद्य सेक्टर (food sector) पर दुनिया कितनी गंभीर है इसका पता इस बात से चलता है कि आज भी हर दिन करोड़ों लोग भूखे पेट सोते हैं. तीन अरब लोगों के लिए पोषक आहार उनकी पहुंच से बाहर है. दो अरब लोगों का वज़न या तो आवश्यकता से अधिक है या फिर वे मोटापे का शिकार हैं, जबकि 46 करोड़ लोगों का वज़न कम है. दुनिया भर में कुल खाद्य उत्पादन का लगभग एक तिहाई हिस्सा बर्बाद हो जाता है.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने खाद्य प्रणालियों पर यूएन की एक महत्वपूर्ण शिखर बैठक को सम्बोधित करते हुए इन समस्याओं व विरोधाभासों की ओर ध्यान आकृष्ट किया और भोजन को मानवाधिकार क़रार दिया. इस बैठक के ज़रिये किसानों, मछुआरों, आदिवासी लोगों, राष्ट्राध्यक्षों, सरकार प्रमुखों और अन्य हस्तियों को एक साथ लाने का प्रयास किया गया है. इस का उद्देश्य खाद्य सेक्टर में रुपांतकारी बदलाव लाना और विश्व को वर्ष 2030 तक 17 टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने के मार्ग पर अग्रसर करना है.

challenges in food sector

यूएन प्रमुख ने कहा कि जनमानस, पृथ्वी व समृद्धि के लिए खाद्य प्रणालियों में बदलाव लाना ना सिर्फ़ सम्भव है, बल्कि यह आवश्यक भी है. महासचिव गुटेरेश ने सचेत किया कि कोविड-19 महामारी के कारण खाद्य सेक्टर में यह चुनौती और भी गहरी हो गई है.

उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि यह ऐसे समय में हो रहा है जब दुनिया ने प्रकृति के विरुद्ध लड़ाई छेड़ी हुई है, फ़सलें बर्बाद हो रही हैं, आय में गिरावट आ रही है और खाद्य प्रणालियां विफल हो रही हैं.

ग़ौरतलब है कि खाद्य प्रणालियां कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की एक तिहाई मात्रा के लिए ज़िम्मेदार हैं, और जैवविविधिता को पहुंच रहे नुक़सान के 80 प्रतिशत के लिए.

स्वास्थ्य व कल्याण को सहारा कैसे मिले

फिलहाल, सभी व्यक्तियों के स्वास्थ्य और कल्याण को समर्थन देने वाली खाद्य प्रणालियों की आवश्यकता है. ध्यान देने वाली बात है कि पोषक और विविधतापूर्ण आहार अक्सर महंगे और पहुंच से बाहर होते हैं.

पृथ्वी की रक्षा करना एकदम से ज़रूरी है

आज ऐसी खाद्य प्रणालियों की भी आवश्यकता है जिनसे पृथ्वी की रक्षा की जा सके. बढ़ती वैश्विक आबादी के लिए भोजन का इंतज़ाम करना, और उसके सामानांतर हमारे पर्यावरण की रक्षा कर पाना सम्भव करना होगा.

खाद्य समृद्धि के लिए समर्थन जुटाना होगा

खाद्य प्रणालियों को समृद्धि का समर्थन करने की दुनियाभर में आवश्यकता है. महज़ व्यवसायों और शेयरधारकों की समृद्धि नहीं, बल्कि किसानों और कामगारों की समृद्धि, और उन अरबों व्यक्तियों की समृद्धि ज़रूरी है जो कि अपनी आजीविका के लिए इस सेक्टर पर निर्भर हैं.

इन सभी सपनों को साकार करने के लिए कृषि सब्सिडी और कामगारों के लिए रोज़गार समर्थन के मौजूदा तौर-तरीक़ों में बदलाव लाने की ज़रूरत है. साथ ही भोजन को व्यापार की एक वस्तु के रूप में देखे जाने के बजाय, हर व्यक्ति के पास मौजूद अधिकार के रूप में देखा जाना होगा.


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