संयुक्त राष्ट्र के ड्रग्स व अपराध निरोधक कार्यालय (UNODC) ने एक नई रिपोर्ट जारी की है जिसमें कोविड-19 महामारी के दौर में बच्चों को निशाना बनाने और उनका शोषण किये जाने के मामलों में बढ़ोत्तरी की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया गया है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि किस तरह मानव तस्करों (Human Traffickers) ने महामारी (pandemic) के दौर में जारी वैश्विक संकट का फ़ायदा अपने आपराधिक इरादों के लिए उठाया. तस्करों ने लोगों की आमदनियां ख़त्म हो जाने और वयस्क व बच्चों (children) द्वारा ऑनलाइन सामग्री (Online Shopping) देखने पर ज़्यादा समय बिताने के हालात का भी शोषण किया.
संगठन की कार्यकारी निदेशिका ग़ादा वॉली ने कहा, “स्वास्थ्य महामारी ने इंसानों की तस्करी के लिए कमज़ोर परिस्थितियां और बढ़ा दी हैं और तस्करी का पता लगाना और भी मुश्किल बना दिया है, जिससे मानव तस्करी के पीड़ितों को समय पर सहायता पाने और न्याय हासिल करने के लिये संघर्ष करना पड़ रहा है.”
उन्होंने कहा, “कोरोनावायरस (Corona Virus) के फैलाव पर नियंत्रण करने के लिये जो उपाय लागू किए गए, उनके कारण, कमज़ोर हालात में रहने वाले लोगों की तस्करी का जोखिम बढ़ गया, पीड़ितों के और ज़्यादा शोषण के हालात बन गए और इस अपराध से बचने वाले लोगों के लिए आवश्यक सेवाओं तक पहुंच सीमित हो गई.”
संगठन के मानव तस्करी और प्रवासी तस्करी विभाग के प्रमुख इलायस चैटज़िस का कहना है, “मानव तस्कर, लोगों की कमज़ोर परिस्थितियों का लाभ उठाते हैं और अपने शिकार या पीड़ितों को रोज़गार के झूठे वादे करके अपने जाल में फंसाते हैं.”
उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य महामारी के कारण अनेक क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोज़गार और आमदनियां ख़त्म हुए हैं और ऐसे में आपराधिक तत्वों और गुटों के लिए, घबराहट के शिकार लोगों के हालात का फ़ायदा उठाने के लिए आसान हालात बनते हैं.”
कोविड-19 के दौर में मानव तस्करी की गम्भीर स्थिति दिखाती एक नई रिपोर्ट
इस अध्ययन रिपोर्ट में पाया गया है कि मानव तस्कर ऐसे बच्चों को ज़्यादा निशाना बना रहे हैं जो सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन मंचों पर ज़्यादा समय बिताते हैं. ऐसे हालात में मानव तस्कर नए पीड़ितों को अपने जाल में फंसाते हैं और बाल यौन शोषण सामग्री की बढ़ती मांग पूरी करके मुनाफ़ा कमाते हैं.
इलायस चैटज़िस का कहना है, “इस अध्ययन रिपोर्ट के लिए योगदान करने वाले विशेषज्ञों ने बाल तस्करी में बढ़ोत्तरी के बारे में अपनी चिन्ता ज़ाहिर की है. यौन शोषण, जबरन विवाह, जबरन भीख मंगवाने के लिये और जबरन आपराधिक गतिविधियां करने के लिये बच्चों की तस्करी की जा रही है.”
देशों में लागू तालाबन्दियों और अन्य पाबन्दियों के बीच तस्करी निरोधक सेवाओं की सीमित सक्रियता व उपलब्धता के कारण, मानव तस्करी के पीड़ितों का, तस्करों के चंगुल से बच पाना बहुत मुश्किल साबित हुआ है.
देशों की सीमाएं बंद होने के कारण, मानव तस्करी के शिकार बहुत से लोगों को उनके चंगुल से छुड़ाने के बाद भी महीनों तक ऐसे शरणस्थलों में रहना पड़ा जहां उन्हें घर लौटाने के बजाय, उनका शोषण हुआ. मानव तस्करी के शिकार हुए लोग या पीड़ित अपनी मदद और सुरक्षा के लिए जिन आवश्यक सेवाओं पर निर्भर करते हैं, वो या तो कम हो गईं या बिल्कुल सक्रिय ही नहीं रहीं.
तस्करों ने बहुत तेज़ी से अपनी कार्यशैली में बदलाव किया
तस्करी के शिकार लोगों का शोषण होने की सम्भावना वाले – मदिरालय, क्लब, मालिश पार्लर जैसे स्थानों के बन्द हो जाने पर, तस्करों ने अपना अवैध कारोबार बड़ी आसानी से निजी सम्पत्तियों से और ऑनलाइन चलाना शुरू कर दिया.
कुछ देशों में, मानव तस्करी का मुक़ाबला करने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों को, उनकी नियमित ड्यूटी से हटाकर, कोविड-19 के फैलाव को रोकने के राष्ट्रीय प्रयासों में तैनात किया गया. इससे, मानव तस्करों को, पकड़े जाने के कम डर के बीच, काम करने का एक आसान अवसर मिल गया.
महामारी ने हमें ये सबक़ सिखा दिया है कि किसी संकट के दौरान राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तरों पर, मानव तस्करी का मुक़ाबला जारी रखने के लिए रणनीतियां बनाते रहने की ज़रूरत है.