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यूनेस्को: शिक्षकों के बिना कक्षा बेमानी

भारत में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने वर्तमान स्थिति में, शिक्षा प्रणाली में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका के मद्दनेज़र, देश की शिक्षा की स्थिति पर 2021 की रिपोर्ट ‘स्टेट ऑफ द एजुकेशन रिपोर्ट’ (SOER) जारी की है.

“शिक्षकों के बिना, कक्षा सम्भव नहीं” नामक यह रिपोर्ट, शिक्षकों, शिक्षण और शिक्षा पर विशेष ध्यान केन्द्रित करती है.

रिपोर्ट के अनुसार, स्थिति की गम्भीरता को देखते हुए, शिक्षकों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को अत्यधिक महत्व दिया जाना ज़रूरी है.

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भारत में शिक्षकों की अहम भूमिका पर जारी, वार्षिक रिपोर्ट व्यापक शोध पर आधारित है.

नई दिल्ली स्थित यूनेस्को कार्यालय के निदेशक, एरिक फॉल्ट ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, “भारत ने पिछले दशकों में शिक्षा के क्षेत्र में काफ़ी प्रगति की है और इस प्रगति में शिक्षक अभिन्न अंग रहे हैं.”

“राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, शिक्षकों को सीखने की प्रक्रिया का केन्द्र मानती है और यही कारण है कि हमने भारत के लिए अपनी ‘स्टेट ऑफ द एजुकेशन रिपोर्ट’ का तीसरा संस्करण उन्हें समर्पित करने का फ़ैसला किया है. शिक्षकों के बिना कोई कक्षा नहीं हो सकती.”

भारत की शिक्षा स्थिति पर जारी इस रिपोर्ट में, “शिक्षकों को अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं (frontline workers) के रूप में पहचान देने” की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है.

चूंकि शिक्षा प्रणाली पुनर्बहाली के कगार पर है, रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि प्रौद्योगिकी को अपनाने और एकीकृत करने की एक शिक्षक की क्षमता, छात्रों के बीच सीखने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दे सकती है.

इसलिए, ऑनलाइन शिक्षण तकनीकों की जानकारी होना ज़रूरी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इन तरीक़ों का व्यावसायिक ज्ञान और समझ, देश के सबसे दूरस्थ स्थानों तक पहुंच का रास्ता खोल सकती है.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी
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