नेब्रास्का में ज़िन्दगानी का सच

ये कहानी है एक बुज़ुर्ग आदमी वुडी ग्रांट की जिसे एक दिन एक ख़त आता है कि उसने एक मिलियन डॉलर की एक लौट्री जीत ली है. इस ख़ुशी में वो अपने घर से पैदल ही अकेले निकल पड़ता है, अमेरिकी शहर मोनटेना से नेब्रास्का शहर की ओर.

सही वक़्त पर उसका बेटा डेविड उसे रोकता है क्योंकि वो समझ जाता है कि यह एक कंपनी की अपने ग्राहक को अपनी तरफ खींचने की साजिश है. लेकिन, वुडी किसी की नहीं सुनता. उसके सर पर ये धुन सवार रहती है कि उसे तो बस पैसे लेने जाना है. और वह चल पड़ता है.

अब देखिए ज़िन्दगानी का खेल, ये बात बाहर सरे आम हो जाती है कि वुडी लाटरी जीत गया है. रास्ते में वह अपने पुराने गांव को पार करते हुए अपने भाई के घर रुकता है.

मज़े की बात ये है कि यह फिल्म ब्लैक एंड वाइट में शूट की गई है जैसे कि ज़िन्दगानी का सच – काला और सफ़ेद 

यह जानकार कि वुडी वहां आ रहा है, उसके बाकी कई रिश्तेदार भी वहां आ जाते हैं. इस बीच वुडी का बेटा डेविड बहुत परेशान हो रहा होता है क्योंकि सभी पैसे जीतने की ख़ुशी मन रहे होते हैं. डेविड यही मानता है कि वास्तव में उसके पिता को कोई पैसा नहीं मिलेगा.

इस बीच एक – एक कर सभी रिश्तेदार डेविड से कहते हैं कि उन्होंने वुडी और उसके परिवार को मदद करने के लिए समय – समय पर बहुत सारे पैसे दिए हुए हैं.

वे अपने बकाया की मांग करने लगते हैं. डेविड की इस बात पर उनसे लड़ाई भी हो जाती है. मगर हर कोई अपने दिए हुए पैसे गिनाने लगता है.

वुडी को जब इस बात का पता चलता है तो उसका दिल टूट जाता है. लोग उससे कहते हैं कि जब वह बीमार था तो वे ही उसे अस्पताल ले गए, दवाई दिलवाई.

कुछ साल तक वुडी शराबी बन गया था, उस वक्त भी जिसने उसे पनाह दी थी वह भी अपने हिसाब गिनाने लगता है.

आज जब वुडी रिटायर्ड लाइफ जी रहा था और उसके पास कुछ ज्यादा कुछ नहीं था तो लौट्री जीतने की ख़ुशी ने उसकी आंखों में चमक ला दी थी जिसके लिए वह 800 मील दूर पैदल ही निकल पड़ा था.

और रास्ते में वह सबका हिसाब करता रहा. जहां तक हुआ उसने सभी को प्यार से गले भी लगाया. जबकि सच यह था कि वुडी ने बचपन से ही अपने सभी रिश्तेदारों की मदद की थी और बदले में कभी किसी से कुछ नहीं मांगा था.

उसके बेटे डेविड ने जब लोगों को यह बताने की कोशिश की कि वुडी को कोई पैसा नहीं मिलेगा तो लोगों ने उसे पीट डाला कि अब पैसे नहीं देने है तो वो झूठ बोल रहा है.

2013 में बनी इस फिल्म को देखकर लगता है कि क्या यही है हम सब के जीवन का सच…! हम किसी के लिए कितना भी करें और जवाब में कभी कोई उम्मीद न रखें. उसके बावजूद कोई भी मौका आने पर अगला घात करने से नहीं चूकता.

ऐसा क्यों है कि हम जुबां नहीं खोल पाते और कोई कुछ भी कह जाता है. दूसरी ओर मुझे ये भी लगा कि अच्छा हुआ कि वुडी और डेविड को कम से कम जीवन की असलियत तो समझ आई. वो लोग जो रोज़ उनके साथ ठहाके लगाते थे, वही आज लड़ाई करने पर उतर आए थे.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी