फिल्म समीक्षा: आजाद

आजाद

हिंदी सिनेमा में जब ट्रेजडी की बात की जाती है तो दो नाम ज़हन में आते हैं. वे हैं, ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार और ट्रेजडी क्वीन मीना कुमारी.

आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि हिंदी सिनेमा जगत के ट्रेजडी किंग और ट्रेजडी क्वीन जब एक साथ फिल्म में आए थे तो ट्रेजडी नहीं, बल्कि कॉमेडी हुई थी.

फिल्म आज़ाद साल 1955 में रिलीज़ हुई थी और इसके निर्माता निर्देशक थे एस.एम. श्रीरामुलु नायडू.

दिलीप साहब और मीना कुमारी के साथ फिल्म में अहम किरदार निभाते दिखे प्राण साहब, अचला सचदेव और ओम प्रकाश.

फिल्म की कहानी का मुख्य विषय था पारिवारिक विच्छेद जो 50 और 60 के दशक में हिंदी सिनेमा का पसंदीदा प्रसंग था. 

फिल्म तमिल फिल्मों के सुपरस्टार एम.जी.आर. द्वारा अभिनीत सुपरहिट तमिल फिल्म मल्लिकालन की रीमेक थी.

फिल्म का संगीत सी. रामचंद्रन ने दिया था और इस फिल्म के गाने बेहद लोकप्रिय हुए थे. फिल्म में एक ख़ूबसूरत कव्वाली भी थी – मरना भी मोहब्बत में को छोड़ कर.

फिल्म के सभी गाने लता मंगेशकर ने गाए थे. फिल्म के सबसे ज़्यादा प्रचलित हुए गाने हैं, ‘अप्पलम चप्पलम’, ‘राधा न बोले, न बोले रे’, और ‘कितना हसीं है मौसम’.


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